क्या भाजपा फोटोकॉपी वाला बजट पेश करती है: दीपक सिंह?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा का अनुपूरक बजट आलोचना का विषय बना है।
- कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने इसे फोटोकॉपी वाला बजट बताया है।
- बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
- योगी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
लखनऊ, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में योगी सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए अनुपूरक बजट पर विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए हैं। इस संदर्भ में कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने भाजपा के इस अनुपूरक बजट को फोटोकॉपी वाला बजट करार दिया है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा हर वर्ष वही फोटोकॉपी वाला बजट पेश करती है। उत्तर प्रदेश में आठ वर्ष सत्ता में रहने के बावजूद उनके पास कुछ नया बताने या दिखाने के लिए नहीं है। कोई बड़ी योजना नहीं है जिसे देश की जनता अपना मान सके। उनके पास कोई नई योजना या पहल नहीं है।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद द्वारा प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाने की वकालत पर भाजपा ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी का क्या होगा। इस पर कांग्रेस नेता दीपक सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसके सांसदों में इतना दम है कि वे अपने नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे रख सकते हैं। भाजपा के किसी नेता में इतना साहस नहीं है कि वह कह सके कि पीएम मोदी के अलावा कोई और प्रधानमंत्री बनेगा।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर दीपक सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की है कि यदि बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा करनी है तो वहां की सरकार से बातचीत करे और प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सदन में इस मुद्दे को उठाया है। बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
योगी सरकार द्वारा मदरसा शिक्षकों को असीमित अधिकार देने वाले बिल को वापस लेने के फैसले पर दीपक सिंह ने कहा कि यह आठ वर्षों की असफलताओं को छिपाने की कोशिश है। योगी सरकार को इतिहास में ऐसी सरकार के रूप में याद किया जाएगा, जिसने अधिकार छीन लिए। कई मामले ऐसे हैं जहां अधिकार छीनकर अधिकारियों और कर्मचारियों को सौंप दिए गए। पुलिस स्टेशनों से लेकर छोटे दफ्तरों और बड़े विभागों तक हर जगह लूट और भ्रष्टाचार है। बिना रिश्वत के काम नहीं होता, क्योंकि यह भी अधिकार छीनने का हिस्सा था। अधिकारियों को अधिकार देने का वादा किया गया, चिट्ठियां लिखी गईं, लेकिन कुछ नहीं दिया गया।