क्या नेपाल संकट पर पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा का कहना है कि पीएम ओली को इस्तीफा देना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल की बेरोजगारी दर 60 प्रतिशत तक पहुँच गई है।
- सरकारी अस्पतालों में दवा और बेड की कमी है।
- नेपाल की कृषि व्यवस्था प्रभावित है।
- चीन नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है।
- सोशल मीडिया बंद करने से लोग और भड़केंगे।
नई दिल्ली, ८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने नेपाल की वर्तमान स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि नेपाल आज बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसका सबसे बड़ा प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है।
वोहरा ने बताया कि नेपाल में बेरोजगारी दर ६० प्रतिशत तक पहुँच गई है। उन्होंने भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में दवा और बेड की कमी है, जबकि सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए घूस की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा कि नेपाल की कृषि व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित है और बार-बार आने वाले भूकंप ने स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। उन्होंने उल्लेख किया, "भारत हमेशा पहले सहायता करता है, लेकिन कई बार वहां राहत सामग्री को बेचते हुए भी देखा गया है।"
वोहरा ने चीन की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "चीन को यह परवाह नहीं है कि नेपाल में कितने लोग मरते हैं या भूखे रहते हैं। उसका एकमात्र उद्देश्य नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना है।"
पूर्व राजनयिक ने सीधे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह सोशल मीडिया का युग है। आप ने सोशल मीडिया बंद कर दिया, इससे लोग और भड़केंगे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी कह दिया है कि हम बच्चों पर गोली नहीं चलाएंगे। ओली साहब को अब नेपाल के बारे में सोचना चाहिए, न कि केवल अपनी कुर्सी के बारे में।"
वोहरा ने याद दिलाया कि २०१५ के भूकंप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवल १५ मिनट में राहत सामग्री भेजने का निर्णय लिया था। उस समय नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा था कि नेपाल भाग्यशाली है कि भारत उसका पड़ोसी है।
उन्होंने नेपाली जनता से अनुरोध किया कि भारत उनके साथ खड़ा है और उनका फायदा नहीं उठाना चाहता। उन्होंने कहा, "आप चीन पर भरोसा मत कीजिए, वह केवल आपका उपयोग करेगा। भारत युवाओं के भविष्य के लिए स्टार्टअप और विकास की बात करता है, जबकि चीन पहले गला काटता है और बाद में पूछता है कि यह कौन है।"