क्या दिल्ली में 190 करोड़ रुपए की सीमा शुल्क चोरी का मामला गंभीर है?

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क्या दिल्ली में 190 करोड़ रुपए की सीमा शुल्क चोरी का मामला गंभीर है?

सारांश

दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय ने 190 करोड़ रुपए की सीमा शुल्क चोरी के मामले में कई कंपनियों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई है, जिसमें फर्जी निर्यात दस्तावेजों का खुलासा हुआ है। क्या यह मामला गंभीर है?

Key Takeaways

  • सीमा शुल्क चोरी के मामले में गंभीरता
  • नकली निर्यात दस्तावेजों का खुलासा
  • आर्थिक सुरक्षा के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 190 करोड़ रुपए की सीमा शुल्क चोरी से जुड़े मामले में मेसर्स टाइटन सी एंड एयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ कई अन्य कंपनियों पर बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई।

ईडी का मामला दिल्ली शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है। आरोप है कि इन कंपनियों ने नकली निर्यात दस्तावेज तैयार किए, जिसमें चालान, शिपिंग बिल और अन्य कागजात शामिल हैं। इन कंपनियों ने दावा किया कि उन्होंने माल को नेपाल और बांग्लादेश निर्यात किया, जबकि वास्तव में सामान को घरेलू बाजार में बेचा गया। इससे सरकार को 190 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

इस धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी विकास गर्ग हैं, जो कंपनी के प्रमुख हैं। उनके कर्मचारियों ने मिलकर यह साजिश रची। आयात-निर्यात के नाम पर भारत के बाहर फर्जी संस्थाएं बनाई गईं, जिनके नाम पर कारोबार किया गया। इन संस्थाओं का उपयोग धन शोधन और कर चोरी के लिए किया गया।

12 नवंबर 2025 को, ईडी ने विकास गर्ग, उनके कर्मचारियों और संबंधित व्यक्तियों के आवासीय और व्यावसायिक परिसरों पर छापेमारी की। 10 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली गई। जांच में आयात-निर्यात से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए, जिनमें नकली बिल, ईमेल और रिकॉर्ड शामिल हैं। इसके साथ ही, मुख्य आरोपियों के डिजिटल उपकरण जैसे लैपटॉप, मोबाइल फोन और पेन ड्राइव जब्त किए गए। ये सबूत धोखाधड़ी की पूरी श्रृंखला को उजागर कर सकते हैं।

ईडी का कहना है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्जी कंपनियों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था। आरोपी विदेशी संस्थाओं के नाम पर माल आयात करते थे और निर्यात का दिखावा कर लाभ उठाते थे। इससे न केवल सीमा शुल्क की चोरी हुई, बल्कि जीएसटी और अन्य करों में भी धांधली की गई। जांच आगे बढ़ रही है और जल्द ही आरोपियों से पूछताछ की जाएगी।

Point of View

यह मामला देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। सीमा शुल्क चोरी और फर्जी निर्यात दस्तावेजों का इस्तेमाल केवल आर्थिक हानि नहीं बल्कि देश की छवि को भी प्रभावित करता है। हमें ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

इस छापेमारी का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस छापेमारी का उद्देश्य 190 करोड़ रुपए की सीमा शुल्क चोरी के मामले में आरोपियों को पकड़ना और धोखाधड़ी के साक्ष्यों को इकट्ठा करना था।
क्या यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है?
हाँ, यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्जी कंपनियों के माध्यम से चलाया जा रहा था।