क्या 'आप' प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली ब्लास्ट के पीड़ितों से बातचीत की?
सारांश
Key Takeaways
- पीड़ित परिवारों की आवाज़ को सुनना महत्वपूर्ण है।
- एंबुलेंस की कमी को दूर किया जाना चाहिए।
- सरकार को प्रशासनिक सुधार करने की आवश्यकता है।
- सामाजिक मीडिया पर संवेदनाएं व्यक्त करने से कुछ नहीं होगा।
- अस्पतालों में व्यवस्थाओं में सुधार जरूरी है।
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। लाल किले के निकट हुए बम विस्फोट के बाद दिल्ली का राजनीतिक वातावरण गर्मा गया है। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में मंगलवार को पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल एलएनजेपी अस्पताल पहुंचा और घायल व्यक्तियों तथा मृतकों के परिवारों से बातचीत की।
पीड़ित परिवारों ने प्रतिनिधिमंडल के समक्ष अस्पताल की अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक लापरवाही के अनेक आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मृतकों के शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की जा रही है।
परिवारों की समस्याएं सुनने के बाद सौरभ भारद्वाज ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मृतकों को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं दी जा रही, यह अत्यंत अमानवीय और दुखद है। एलएनजेपी में केंद्रीय गृह मंत्री और मुख्यमंत्री भी पहुंचीं, लेकिन वास्तविकता यह है कि परिवारों की सहायता के लिए कुछ भी नहीं किया गया।”
सौरभ भारद्वाज ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार और अस्पताल प्रशासन केवल सोशल मीडिया पर संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं, जबकि पीड़ित परिवारों की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि एलएनजेपी दिल्ली का सबसे बड़ा अस्पताल है और यदि यहां ऐसी स्थिति है, तो छोटे अस्पतालों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
प्रतिनिधिमंडल में विधायक दल के चीफ व्हिप संजीव झा, पूर्व मंत्री इमरान हुसैन, विधायक कुलदीप कुमार सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे।
पीड़ित परिवारों ने बताया कि कई लोग बिना पैसे, मोबाइल और दस्तावेज के अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हें शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था स्वयं करने के लिए कहा जा रहा है। भारद्वाज ने मांग की कि कम से कम घायल मरीजों को छुट्टी देते समय एंबुलेंस उपलब्ध कराई जानी चाहिए, क्योंकि सरकार और प्रशासन के पास वाहनों की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर वीडियो साझा कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि सरकार केवल संवेदनाओं की भाषा बोल रही है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।