क्या दिल्ली हाई कोर्ट ने बटला हाउस डिमोलिशन केस में डीडीए के नोटिस पर रोक लगाई?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए के ध्वस्तीकरण नोटिस पर रोक लगाई।
- अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
- 70 से अधिक संपत्तियों को पहले ही राहत मिली है।
- लोगों ने तुरंत निकालने की साजिश बताई।
- डीडीए को डिमार्केशन रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के ओखला विधानसभा के अंतर्गत बटला हाउस में डीडीए द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर करने वाले निवासियों को दिल्ली हाई कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। अदालत ने डीडीए के ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ एक याचिका पर रोक लगा दी है।
वास्तव में, दिल्ली हाई कोर्ट में सात व्यक्तियों ने एक याचिका दायर कर डीडीए की ध्वस्तीकरण कार्रवाई को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान, अदालत ने डीडीए के नोटिस पर रोक लगा दी। इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को निर्धारित की गई है। अदालत के इस निर्णय से उन सात व्यक्तियों को राहत मिली है, जिन्होंने डीडीए के खिलाफ याचिका दायर की थी।
वकील फहद खान ने बताया कि याचिका दायर करने वाले सात व्यक्तियों को डीडीए द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण में बताया गया था कि उनकी संपत्तियों का कुछ हिस्सा ध्वस्त किया जाएगा। इस कारण उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया, क्योंकि उन्हें डीडीए से कोई नोटिस नहीं मिला था। अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
गौरतलब है कि बटला हाउस में अब तक 70 से अधिक विवादित संपत्तियों को दिल्ली हाई कोर्ट या साकेत कोर्ट के आदेशों से ध्वस्तीकरण से राहत मिल चुकी है।
बटला हाउस इलाके में डीडीए की ओर से की जा रही डिमोलिशन कार्रवाई के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 जून को महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया था। अदालत ने डीडीए को नोटिस जारी करते हुए डिमोलिशन पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। साथ ही, अदालत ने डीडीए से डिमार्केशन रिपोर्ट (सीमांकन रिपोर्ट) पेश करने को कहा है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जिस संपत्ति पर नोटिस दिया गया है, वह वास्तव में विवादित खसरा नंबर के अंतर्गत आती है या नहीं।
बटला हाउस में यूपी सिंचाई विभाग की जमीनों पर कई अवैध दुकानों को नोटिस भेजा गया है। जानकारी के अनुसार, डीडीए की ओर से 26 मई को नोटिस जारी हुआ था। नोटिस में लोगों को स्थान खाली करने के लिए निर्देश दिए गए थे, लेकिन नोटिस के जवाब में लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
लोगों का कहना है कि उन्हें तुरंत निकालने की साजिश रची जा रही है, जबकि नोटिस के बाद कम से कम 15 दिन का समय देना चाहिए था।