क्या ईडी ने सत्येंद्र जैन और 13 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया?

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क्या ईडी ने सत्येंद्र जैन और 13 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व जल मंत्री सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों के खिलाफ रिश्वत के मामले में आरोपपत्र दायर किया है। यह मामला 6.73 करोड़ रुपए की रिश्वत से संबंधित है, जिसमें कई सरकारी अधिकारी शामिल हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • ईडी ने सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।
  • रिश्वत की राशि 6.73 करोड़ रुपए है।
  • धन शोधन के मामले में 15.36 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क किया गया।
  • रिश्वत का भुगतान राजकुमार कुर्रा और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया।
  • आईएफएएस तकनीक से उपचार संयंत्रों की क्षमता में वृद्धि होती है।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के पूर्व जल मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र कुमार जैन के साथ 13 अन्य लोगों के खिलाफ 6.73 करोड़ रुपए की रिश्वत के बदले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से संबंधित चार निविदाएं देने के मामले में आरोपपत्र दायर किया है।

ईडी ने 4 दिसंबर को जारी एक अनंतिम कुर्की आदेश के माध्यम से, धन शोधन मामले से जुड़े विभिन्न व्यक्तियों की 15.36 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों को भी अनंतिम रूप से कुर्क किया, जिसमें कुल 17.70 करोड़ रुपए की अपराध आय (पीओसी) शामिल है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय ने सत्येंद्र जैन, उदित प्रकाश राय (तत्कालीन सीईओ, दिल्ली जल बोर्ड), अजय गुप्ता (तत्कालीन सदस्य, दिल्ली जल बोर्ड), सतीश चंद्र वशिष्ठ (तत्कालीन मुख्य अभियंता, दिल्ली जल बोर्ड) और अन्य निजी व्यक्तियों/संस्थाओं के विरुद्ध धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत अभियोजन शिकायत दर्ज की।

ईडी की जांच से पता चला कि ईईपीएल के प्रबंध निदेशक राजकुमार कुर्रा ने डीजेबी के अधिकारियों और निजी व्यक्तियों, नागेंद्र यादव आदि के माध्यम से डीजेबी निविदा की शर्तों में हेरफेर किया था।

कुर्रा ने निविदा को केवल 'स्थिर मीडिया वाली आईएफएएस तकनीक' के उपयोग तक सीमित कर दिया और इस प्रकार ईईपीएल को निविदा में तकनीक का एकमात्र आपूर्तिकर्ता बनने में सक्षम बनाया।

स्थिर मीडिया के साथ इंटीग्रेटेड फिक्स्ड-फिल्म एक्टिवेटेड स्लज (आईएफएएस) तकनीक, पारंपरिक निलंबित-विकास सक्रिय स्लज को एक ही रिएक्टर में संलग्न-विकास बायोफिल्म मीडिया के साथ जोड़ती है, जिससे सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए अतिरिक्त सतह क्षेत्र प्राप्त होता है, स्लज की मात्रा बढ़ाए बिना बायोमास बढ़ता है, और उपचार संयंत्रों की क्षमता में वृद्धि होती है।

जांच के निष्कर्षों के अनुसार, राजकुमार कुर्रा और उनके सहयोगियों ने बैंकिंग माध्यमों/नकद के माध्यम से 6.73 करोड़ रुपए का अवैध कमीशन/रिश्वत दिया, जो कि पीएमएलए, 2002 के तहत अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है।

Point of View

हम हमेशा इस बात पर ध्यान देते हैं कि ऐसे मामले कैसे राजनीतिक और सामाजिक धारा को प्रभावित कर सकते हैं। सत्येंद्र जैन का मामला न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। हमें इस मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए और इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना चाहिए।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

सत्येंद्र जैन के खिलाफ आरोप क्या हैं?
सत्येंद्र जैन और 13 अन्य पर 6.73 करोड़ रुपए की रिश्वत के बदले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए निविदाएं देने का आरोप है।
ईडी ने किस कानून के तहत कार्रवाई की है?
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत कार्रवाई की है।
इस मामले में कितनी संपत्तियों को कुर्क किया गया है?
ईडी ने 15.36 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है।
राजकुमार कुर्रा का इस मामले में क्या रोल है?
राजकुमार कुर्रा ने निविदा की शर्तों में हेरफेर कर ईईपीएल को तकनीक का एकमात्र आपूर्तिकर्ता बनने में मदद की।
आईएफएएस तकनीक क्या है?
आईएफएएस तकनीक सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए अतिरिक्त सतह क्षेत्र प्रदान करती है, जिससे उपचार संयंत्रों की क्षमता में वृद्धि होती है।
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