क्या दिल्ली के कश्मीरी गेट में 28 साल पुराना कांवड़ शिविर श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है?

सारांश
Key Takeaways
- कश्मीरी गेट में 28 साल पुराना कांवड़ शिविर
- श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं
- भक्ति और सामाजिक सेवा का प्रतीक
- कांवड़ियों की यात्रा को आसान बनाने के लिए व्यवस्थाएं
- दिल्ली सरकार का सहयोग
नई दिल्ली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के कश्मीरी गेट में पिछले 28 वर्षों से कांवड़ यात्रियों के लिए एक शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में कावड़ियों के लिए विश्राम, भोजन, शौचालय, स्नान और चिकित्सा जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
शिविर के संयोजक पवन कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस बार भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। शिविर में 24 घंटे प्राथमिक चिकित्सा के लिए मेडिकल कैंप और आपात स्थिति के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी है।
पवन कुमार अग्रवाल ने कहा, "हम पिछले 28 वर्षों से लगातार कश्मीरी गेट में यह शिविर लगा रहे हैं। यहां कांवड़ियों के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। इस बार दिल्ली सरकार के सिंगल विंडो सिस्टम ने शिविर लगाने में काफी सहूलियत दी। पहले दिल्ली पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और अन्य विभागों से अलग-अलग अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन इस बार सारी अनुमतियां एक ही जगह से मिल गईं, जिससे हमें कोई परेशानी नहीं हुई।"
शिविर में पहुंचे कांवड़ियों ने भी व्यवस्थाओं की सराहना की। हरियाणा से आई एक बुजुर्ग महिला कावड़िया ने बताया, "पहले दिल्ली में कांवड़ियों के लिए ज्यादा व्यवस्थाएं नहीं थीं, लेकिन अब जगह-जगह शिविर लगाए जाते हैं। यहां भोजन, विश्राम, स्नान और शौचालय की पूरी सुविधा है। हमारी यात्रा को आसान बनाने के लिए ये शिविर बहुत मददगार हैं। मैं पिछले 13 वर्षों से कांवड़ यात्रा में हिस्सा ले रही हूं।"
वहीं, 55 वर्षीय एक अन्य कांवड़िया ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि यह उनकी दूसरी कांवड़ यात्रा है। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई थी, तब मैंने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की थी। उनकी कृपा से मेरा बेटा ठीक हो गया। उसी आस्था के साथ मैं कांवड़ लेने आया हूं। रास्ते में सभी शिविरों में कांवड़ियों के लिए अच्छी व्यवस्थाएं हैं, जिससे यात्रा में कोई परेशानी नहीं होती।"
आपको बता दें, कश्मीरी गेट का यह शिविर न केवल कावड़ियों के लिए एक विश्राम स्थल है, बल्कि यह भक्ति और सामाजिक सेवा का भी प्रतीक बन चुका है। हर साल लाखों कांवड़िए इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं और ऐसे शिविर उनकी यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाते हैं।