क्या दिल्ली में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है? : संजीव झा

सारांश
Key Takeaways
- संजीव झा का आरोप है कि कानून-व्यवस्था में गिरावट आई है।
- दिल्ली में आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं।
- जलभराव की समस्या ने त्योहार की खुशियों को कम किया है।
- राजनीतिक माहौल में कोई सार्थक चर्चा नहीं हो रही है।
- दिल्लीवासियों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गई है।
नई दिल्ली, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और विधायक संजीव झा ने दिल्ली सरकार पर कानून-व्यवस्था के विफल होने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। आए दिन हत्या, लूट और अन्य आपराधिक घटनाओं की खबरें आ रही हैं। शनिवार को करावल नगर में एक हत्या की घटना ने लोगों को झकझोर दिया। इसके अलावा, जंगपुरा इलाके में एक बॉलीवुड अभिनेत्री के भाई की हत्या ने सनसनी फैला दी। दिल्ली विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र हाल ही में संपन्न हुआ, लेकिन इस दौरान बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हो सकी। आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को बार-बार उठाने की कोशिश की, लेकिन सत्र पूरी तरह राजनीतिक प्रचार और आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रहा।
संजीव झा ने कहा कि रक्षाबंधन के पवित्र पर्व पर दिल्लीवासियों को भारी बारिश ने परेशान किया। कुछ घंटों की बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया, जिससे लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए उनके घर नहीं पहुंच सकीं, जिससे त्योहार का उत्साह फीका पड़ गया। दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दावा किया था कि इस बार शहर में जलभराव की समस्या नहीं होगी, लेकिन हकीकत इससे उलट रही। कनॉट प्लेस जैसे प्रमुख इलाकों से लेकर पीडब्ल्यूडी मुख्यालय के पास तक जलभराव की स्थिति देखने को मिली।
संजीव झा ने आगे कहा कि बारिश के दिन दो बड़ी खबरें सुनने को मिली। बदरपुर की जैतपुर कॉलोनी में दीवार गिरने से सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, अलीपुर में जलभराव के कारण एक बच्चा खुले गटर में गिर गया। ऐसी कई घटनाएं हैं, जो शायद खबरों की सुर्खियों तक नहीं पहुंच पातीं।
उन्होंने कहा कि दिल्लीवासियों की न तो सुरक्षा सुनिश्चित हो पा रही है और न ही बुनियादी सुविधाएं मिल पा रही हैं। कानून-व्यवस्था और जलभराव की इन समस्याओं ने दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोल दी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार उन्हें कब तक इन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।