क्या दिल्ली सरकार सड़कों पर प्राइवेट वाहनों का दबाव कम कर पाएगी?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नीतियाँ लागू कर रही है।
- निजी वाहनों का उपयोग कम करने के लिए पूल और शेयर बस सेवाओं की शुरुआत होगी।
- डीटीसी बसों के रूट में परिवर्तन किया जाएगा।
- ई-रिक्शा के संचालन के लिए नई गाइडलाइंस लागू की जाएंगी।
- बिना पीयूसी वाले वाहनों पर जुर्माना सख्ती से लागू होगा।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया। यह बैठक दिल्ली सचिवालय में हुई, जहां सीएम ने अधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त निर्देश दिए।
सीएम कार्यालय ने जानकारी दी कि इस बैठक में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना वैध पीयूसी सर्टिफिकेट वाले वाहनों पर सख्ती से चालान जारी किया जाएगा। इस संबंध में कोई छूट नहीं दी जाएगी।
निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए ओला और उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों के साथ बातचीत की जाएगी, ताकि पूल और शेयर बस सेवाएं शुरू की जा सकें। इससे सड़कों पर वाहनों का दबाव घटेगा।
इसके अलावा, डीटीसी बसों के रूट की नई व्यवस्था की जा रही है, ताकि जिन क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की अधिक आवश्यकता है, वहां सेवाएं प्रभावी रूप से उपलब्ध हों।
ई-रिक्शा के लिए भी नई गाइडलाइंस जारी की जाएंगी, जिससे उनके संचालन में सुव्यवस्था बनी रहे।
बैठक में कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने पहले ही स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार प्रदूषण फैलाने वाले कारकों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी। इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
वर्तमान में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर ₹10,000 का भारी जुर्माना है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कई बार वाहन मालिक लोक अदालत का सहारा लेकर इस जुर्माने को कम करवा लेते हैं, जिससे दंड का भय समाप्त हो जाता है।