क्या कन्याकुमारी के सांसद ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की मांग की?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर है।
- एयर क्वालिटी इंडेक्स 461 तक पहुँच गया है।
- सांसद विजय वसंत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की मांग की।
- बच्चों और बुजुर्गों पर प्रदूषण का अधिक प्रभाव।
- तत्काल उपायों की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर भयंकर वायु प्रदूषण की चपेट में है। हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 461 तक पहुंच गया है, जिसे 'सीवियर प्लस' श्रेणी में रखा गया है। यह स्तर मानव जीवन के लिए खतरा बन चुका है। हालात की गंभीरता को देखते हुए तमिलनाडु के कन्याकुमारी लोकसभा क्षेत्र से सांसद विजय कुमार उर्फ विजय वसंत ने संसद में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की है।
दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताते हुए सांसद विजय वसंत ने कहा कि राजधानी एक तरह से 'गैस चैंबर' में तब्दील हो चुकी है, जहां करोड़ों लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर पड़ रहा है। सांस लेना भी कठिन हो गया है और रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएएक्यूएम) की रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों की खस्ता हालत, धूल नियंत्रण में नाकामी और कचरा प्रबंधन में भारी चूक हो रही है। कई क्षेत्रों में धूल से भरी सड़कें, निर्माण कार्यों का मलबा, खुले में पड़ा कचरा और कचरा जलाने की घटनाएं निरंतर जारी हैं, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है।
दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में पिछले दो दिनों में सांस से संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि हालात अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गए हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुके हैं।
सांसद विजय वसंत ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का सीधा उल्लंघन बताया। उन्होंने सरकार से तुरंत राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने, आपात स्वास्थ्य उपाय लागू करने, गैर-जरूरी प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने और जिम्मेदारी तय करने की मांग की।
उन्होंने विपक्ष के नेता को भी इस मुद्दे पर बोलने का अवसर देने की मांग की और कहा कि यह कोई सामान्य मौसमी समस्या नहीं है, बल्कि एक जानलेवा संकट है, जिसके लिए तुरंत और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।