क्या दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप का पहला चरण हटाया गया? वायु गुणवत्ता में सुधार

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- ग्रैप का पहला चरण हटाया गया है।
- आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में रहने की संभावना है।
- राज्य एजेंसियों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर ध्यान देना होगा।
- उप-समिति वायु गुणवत्ता पर नजर रखेगी।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। रविवार तड़के हुई बारिश के बाद दिल्लीवासियों ने स्वच्छ हवा में सांस ली और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 140 तक पहुंच गया, जिसके परिणामस्वरूप वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के पहले चरण के नियमों को हटा दिया गया।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "आज, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी की गई दैनिक एक्यूआई बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 140 दर्ज किया गया।"
उप-समिति ने कहा, "अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण दिल्ली के एक्यूआई में लगातार सुधार हुआ है और 15 जून को एक्यूआई 140 (मध्यम श्रेणी में) दर्ज किया गया है। इसके अलावा, आने वाले दिनों में एक्यूआई मुख्य रूप से 'मध्यम' श्रेणी में ही रहेगा।"
बयान में कहा गया कि दिल्ली के एक्यूआई में सुधार की इस प्रवृत्ति और आईएमडी/आईआईटीएम द्वारा आने वाले दिनों में दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता के 'मध्यम' श्रेणी में रहने की भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए ग्रैप पर सीएक्यूएम उप-समिति ने सर्वसम्मति से पूरे एनसीआर में ग्रैप की मौजूदा अनुसूची के पहले चरण को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला किया है।
उप-समिति ने यह भी बताया कि एनसीआर में राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी की सभी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आयोग द्वारा जारी सभी वैधानिक निर्देशों, सलाह और आदेशों का पालन किया जाए और उन्हें सही तरीके से लागू किया जाए ताकि वायु गुणवत्ता को 'खराब' श्रेणी में जाने से रोका जा सके।
उप-समिति ने आगे कहा कि सभी संबंधित एजेंसियों को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आयोग द्वारा जारी व्यापक नीति में दिए गए उपायों और समय-सीमा पर ध्यान देना होगा। खासकर, धूल कम करने के उपायों पर तुरंत अमल करना जरूरी है।
उप-समिति दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर लगातार नजर रखेगी और समय-समय पर स्थिति की समीक्षा करेगी। इसके आधार पर, भारत मौसम विज्ञान विभाग और आईआईटीएम के पूर्वानुमान को देखते हुए आगे के निर्णय लिए जाएंगे।