क्या महंगाई दर में कमी एक स्वागतयोग्य कदम है?

सारांश
Key Takeaways
- महंगाई दर में कमी से उपभोक्ता क्रय शक्ति बढ़ी है।
- खुदरा मुद्रास्फीति 1.5% पर पहुंच गई है।
- जीएसटी संग्रह में 1.89 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।
- आगामी त्योहारी सीजन में खरीदारी में वृद्धि की उम्मीद है।
- भारत की आर्थिक स्थिरता को मजबूत किया गया है।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर सितंबर 2025 में 0.13 प्रतिशत दर्ज की गई, जो कि पिछले महीने अगस्त में 0.52 प्रतिशत थी।
अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने इस स्थिति को स्वागतयोग्य बताया। उन्होंने कहा कि यह कमी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही खुदरा मुद्रास्फीति भी 1.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे कम है। अगस्त में यह 2.7 प्रतिशत थी, और अब यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2-6 प्रतिशत के लक्ष्य से भी नीचे है।
उन्होंने कहा, "खुदरा और थोक मुद्रास्फीति में कमी से आम आदमी की जेब में ज्यादा पैसा बचा है, जिसे तकनीकी रूप से डिस्पोजेबल इनकम कहते हैं। इससे उपभोग को बढ़ावा मिला है। जीएसटी संग्रह में भी 1.89 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि देखी गई, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस साल के अंत तक मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है, जबकि जीडीपी वृद्धि 6 प्रतिशत के करीब रहेगी। इस सकारात्मक आर्थिक माहौल का असर आगामी त्योहारी सीजन पर भी दिखेगा।
डॉ. शर्मा ने कहा, "इस बार दीपावली पर लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे। कम मुद्रास्फीति और बढ़ी हुई क्रय शक्ति के कारण उपभोक्ता उत्साह के साथ खर्च करेंगे। इससे दुकानदारों और व्यापारियों को भी लाभ होगा।"
उन्होंने इसे 'वर्चुअस साइकिल' करार देते हुए कहा कि यह स्थिति पहले के 'सर्कल ऑफ पावर्टी' से एक बड़ा बदलाव है। बढ़ा हुआ उपभोग व्यापारियों की बिक्री और कमीशन को बढ़ाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था में और गति आएगी। वैश्विक स्तर पर भी भारत की स्थिति मजबूत दिख रही है। वैश्विक विकास दर 5-6.3 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है और भारत का बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र शानदार प्रदर्शन कर रहा है।
मनोरंजन शर्मा ने आगे कहा कि तेल की कीमतें नियंत्रण में हैं, जिसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। कम मुद्रास्फीति और स्थिर वैश्विक परिदृश्य ने भारत को आर्थिक स्थिरता की दिशा में और मजबूत किया है। इस बार का त्योहारी सीजन न सिर्फ उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि व्यापारियों और अर्थव्यवस्था के लिए भी सुखद होने की उम्मीद है। यह स्थिति भारत की आर्थिक प्रगति और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाती है।