क्या दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने डिजिटल अरेस्ट रैकेट का भंडाफोड़ किया और तीन को गिरफ्तार किया?

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क्या दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने डिजिटल अरेस्ट रैकेट का भंडाफोड़ किया और तीन को गिरफ्तार किया?

सारांश

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक बड़े डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। यह रैकेट 80 वर्ष से अधिक उम्र के सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को निशाना बनाकर 42.49 लाख रुपए की ठगी कर रहा था। जानिए और क्या हुआ इस मामले में।

Key Takeaways

  • दिल्ली पुलिस ने साइबर ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया।
  • तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
  • धोखाधड़ी में 42.49 लाख रुपए की ठगी की गई।
  • पीड़ित को ईडी और सीबीआई का अधिकारी बताकर ठगा गया।
  • जांच में 8 प्राथमिक बैंक खाते की पहचान की गई।

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की साइबर सेल ने एक बड़े डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

यह कार्रवाई इंस्पेक्टर शिव राम के नेतृत्व में और एसीपी साइबर सेल अनिल कुमार की निगरानी में की गई। इस रैकेट ने 80 वर्ष से अधिक उम्र के एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से करीब 42.49 लाख रुपए की ठगी मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर की।

इस गिरफ्तारी ने संगठित साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो देशभर में लोगों को निशाना बना रहा था।

घटना तब सामने आई, जब पीड़ित को कुछ व्हाट्सएप नंबरों से कॉल आए, जिसमें कॉलर ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई का अधिकारी बताया।

उन्होंने पीड़ित पर झूठा आरोप लगाया कि वह संदिग्ध वित्तीय लेनदेन में शामिल है और उस पर स्पष्टीकरण पत्र और निजी जानकारी देने के लिए दबाव डाला गया।

जांच में पता चला कि ठगी की रकम को कई बैंक खातों में डाला गया, जिसमें से 8.49 लाख रुपए की राशि ट्रेस की गई। शेष रकम का भी पता लगाया जा रहा है।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान महेंद्र कुमार वैष्णव (37), विशाल कुमार (25) और श्याम दास (25) के रूप में हुई। तीनों राजस्थान के पाली के निवासी हैं।

जांच में सामने आया कि महेंद्र ने अपने बैंक खाते को अंतरराज्यीय साइबर गिरोहों को 10,000 रुपए प्रति खाते की दर से उपलब्ध कराया था। इसके लिए उसने चेकबुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल्स भी सौंप दिए, जिसका इस्तेमाल ठगी में हुआ।

जांच में 8 प्राथमिक बैंक खातों की पहचान हुई, जिसमें महेंद्र का खाता मुख्य रूप से ठगी के लिए इस्तेमाल हुआ। वित्तीय विश्लेषण से पता चला कि उसे हर खाते के लिए मासिक 10,000 रुपए का भुगतान होता था।

पुलिस उपायुक्त आदित्य गौतम ने बताया कि आगे की जांच जारी है और अन्य संदिग्धों का पता लगाया जा रहा है।

Point of View

NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली पुलिस ने कब और किस मामले में कार्रवाई की?
दिल्ली पुलिस ने 7 अक्टूबर को एक बड़े डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश किया।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान क्या है?
गिरफ्तार आरोपियों में महेंद्र कुमार वैष्णव, विशाल कुमार और श्याम दास शामिल हैं।
ठगी का शिकार कौन हुआ?
एक 80 वर्ष से अधिक उम्र के सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ठगी का शिकार हुआ।
पुलिस ने ठगी की रकम का क्या किया?
पुलिस ने ठगी की रकम में से 8.49 लाख रुपए की राशि ट्रेस की है।
क्या आगे की जांच जारी है?
जी हां, पुलिस उपायुक्त ने बताया कि आगे की जांच जारी है और अन्य संदिग्धों का पता लगाया जा रहा है।