क्या देवेन वर्मा बॉलीवुड के सबसे प्यारे हास्य कलाकार थे?

सारांश
Key Takeaways
- देवेन वर्मा ने हिंदी सिनेमा में कॉमेडी को एक नई पहचान दी।
- उन्होंने कभी भी अपनी कॉमेडी में अश्लीलता का सहारा नहीं लिया।
- उनका सफर 600 रुपये की फीस से शुरू हुआ, जो कि प्रेरणादायक है।
- वे तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजे गए।
- उनकी यादें आज भी बॉलीवुड में जीवित हैं।
मुंबई, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध कमीडियन और अद्भुत अभिनेता देवेन वर्मा ने अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। उन्होंने फिल्मों में हास्य का ऐसा जादू बिखेरा कि उनकी कॉमेडी आज भी लोगों की यादों में ताजा है।
उनकी फिल्मी यात्रा एक अद्भुत, प्रेरणादायक और उतार-चढ़ाव से भरी रही। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बेहद कम फीस से की थी। देवेन वर्मा को उनकी पहली फिल्म 'धर्मपुत्र' के लिए मात्र 600 रुपये मिले थे। यह छोटी सी रकम उनके लंबे और सफल करियर की शुरुआत बनी, जिसने उन्हें बॉलीवुड के सबसे प्रिय हास्य कलाकार के रूप में स्थापित किया।
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर 1937 को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हुआ था, लेकिन उनका परिवार बाद में पुणे में बस गया। उन्होंने नौरोजी वाडिया कॉलेज से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में ऑनर्स किया। पढ़ाई के दौरान ही देवेन का झुकाव अभिनय की तरफ बढ़ा। वे स्टेज शो में भाग लेने लगे और लोकप्रिय कलाकारों की मिमिक्री करने लगे।
एक बार नॉर्थ इंडिया पंजाबी एसोसिएशन के स्टेज शो में प्रदर्शन करते समय, बी. आर. चोपड़ा ने उनकी प्रतिभा देखी और उन्हें अपनी फिल्म 'धर्मपुत्र' में काम करने का अवसर दिया। इस फिल्म के लिए देवेन को 600 रुपये की फीस मिली।
हालांकि 'धर्मपुत्र' बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन देवेन वर्मा के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने 'गुमराह' में नौकर का किरदार निभाया, जिसमें उनकी एक्टिंग को दर्शकों और निर्माताओं ने सराहा। धीरे-धीरे उन्होंने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।
1970 के दशक में देवेन वर्मा ने कॉमेडी के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी। उनकी हिट फिल्मों में 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर', 'अंगूर', 'गोलमाल', 'खट्टा मीठा', और 'रंग बिरंगी' शामिल हैं। उनकी कॉमेडी में अश्लीलता का सहारा नहीं लिया गया, क्योंकि उनका मानना था कि दूसरों को हंसाने के लिए खुद की मर्यादा का ध्यान रखना जरूरी है।
देवेन वर्मा को उनकी मेहनत के लिए तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर', और 'अंगूर' जैसी फिल्मों ने उन्हें यह सम्मान दिलाया। उनकी एक्टिंग ने दर्शकों को खूब हंसाया और मनोरंजन की परिभाषा को नया रूप दिया। वे गुलजार, ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करके अपने करियर को नई ऊंचाइयों पर ले गए।
देवेन वर्मा की निजी जिंदगी भी दिलचस्प थी। उन्होंने मशहूर अभिनेता अशोक कुमार की बेटी रूपा गांगुली से विवाह किया। यह शादी उनकी पहली मुलाकात के कुछ वर्षों बाद हुई। अशोक कुमार के साथ कई फिल्मों में काम करने के दौरान उनकी दोस्ती गहरी हो गई, जो अंततः प्यार में परिवर्तित हो गई।
अपने लंबे करियर में देवेन वर्मा ने लगभग 149 फिल्मों में काम किया। उन्होंने न केवल कॉमेडी में अपनी पहचान बनाई, बल्कि कुछ फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया। 2 दिसंबर 2014 को पुणे में उनका निधन हो गया। उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई। उनकी यादें और हंसी आज भी बॉलीवुड के दिल में जीवित हैं।