देवघर में रावण का पुतला क्यों नहीं जलाया जाता?

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देवघर में रावण का पुतला क्यों नहीं जलाया जाता?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि देवघर में विजयादशमी पर रावण का पुतला क्यों नहीं जलाया जाता? यहां रावण का संबंध भगवान शिव से है और उन्हें शिव का अनन्य भक्त माना जाता है। जानें इस अद्भुत परंपरा के पीछे छिपे पौराणिक कारण।

Key Takeaways

  • देवघर में रावण का पुतला नहीं जलता।
  • रावण की तपस्या और भगवान शिव की भक्ति का गहरा संबंध।
  • विभिन्न स्थानों पर रावण की पूजा की जाती है।
  • यह परंपरा हमारी संस्कृति की विविधता को दर्शाती है।
  • रावण को राक्षसराज की बजाय भक्त माना जाता है।

देवघर, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विजयादशमी के अवसर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में रावण दहन की परंपरा अत्यंत प्रचलित है। इस दिन रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक दर्शाया जाता है। लेकिन झारखंड के देवघर में यह परंपरा भिन्न है। यहां रावण का दहन नहीं होता

देवघर की पावन भूमि का रावण से गहरा संबंध है। कहा जाता है कि यहां स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, की स्थापना रावण की कठोर तपस्या और भगवान शिव के प्रति उनकी अद्भुत भक्ति से जुड़ी हुई है। इसे रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता के अनुसार, लंकापति रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया और उनसे आत्मलिंग (शिवलिंग) लंका ले जाने का वरदान मांगा। लेकिन एक शर्त थी कि यदि रावण ने रास्ते में कहीं भी शिवलिंग को रखा तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा। शिवलिंग को ले जाते समय रावण को लघु शंका हुई और उसने भगवान विष्णु से शिवलिंग कुछ समय के लिए रखने का अनुरोध किया, लेकिन रावण की वापसी से पहले ही उन्होंने शिवलिंग को नीचे रख दिया, जिससे वह उसी स्थान पर स्थापित हो गया।

यही कारण है कि देवघर के लोग रावण को राक्षसराज के बजाय भगवान शिव का अनन्य भक्त मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। पुराणों में उनके द्वारा की गई तपस्या और शिव की उपासना का विवरण मिलता है। इसलिए जब पूरे देश में विजयादशमी के दिन रावण का दहन किया जाता है, तब देवघर में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश के मंदसौर, उत्तर प्रदेश के बिसरख और महाराष्ट्र के अमरावती में कुछ स्थानों पर भी विजयादशमी के दिन रावण दहन नहीं होता, बल्कि रावण की पूजा की जाती है। खासकर, गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय के लोग रावण को अपने कुल देवता के रूप में पूजते हैं।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में विजयादशमी कैसे मनाई जाती है। देवघर की अनोखी परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति में विविधता और गहराई है। यह हमें सिखाता है कि हर जगह की अपनी मान्यताएं और परंपराएं होती हैं, जिन्हें हमें सम्मानपूर्वक समझना चाहिए।
NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

देवघर में रावण का पुतला क्यों नहीं जलता?
देवघर में रावण का पुतला नहीं जलता क्योंकि यहां रावण को भगवान शिव का अनन्य भक्त माना जाता है।
क्या रावण की पूजा सिर्फ देवघर में होती है?
नहीं, रावण की पूजा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर भी होती है।
रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्या महत्व है?
रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व रावण की भगवान शिव के प्रति भक्ति से जुड़ा है।