क्या धड़क 2 दर्शकों को निराश कर गई?

सारांश
Key Takeaways
- सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की जोड़ी कमजोर साबित हुई।
- फिल्म की कहानी में नयापन की कमी है।
- डायलॉग और म्यूजिक औसत रहे।
- दर्शकों की प्रतिक्रियाएं फिल्म के लिए नकारात्मक रहीं।
- कास्टिंग पर सवाल उठाए गए।
मुंबई, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'धड़क 2' आखिरकार दर्शकों के समक्ष आ चुकी है। इस फिल्म से लोगों को काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि पिछली फिल्म 'धड़क' को काफी सराहा गया था। लेकिन 'धड़क 2' देखने के बाद दर्शकों के चेहरों पर निराशा साफ दिखाई दी।
हालांकि, फिल्म प्यार और जातिवाद पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, लेकिन शुरुआती रुझान यह दर्शाते हैं कि यह दर्शकों के दिलों को नहीं छू सकी। दर्शकों ने इसे बोरिंग बताया और इसकी तुलना पहले भाग से करते रहे। थिएटर से बाहर निकलने पर लोगों ने अपनी निराशा को खुलकर अभिव्यक्त किया।
एक दर्शक ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "फिल्म देखने के बाद मैं बेहद निराश हूं। कहानी में कोई ठोस आधार नहीं है। सिद्धांत और तृप्ति की केमिस्ट्री सामान्य लगी। म्यूजिक भी ठीक है, लेकिन यह मंत्रमुग्ध करने वाला नहीं है। धड़क-1 एक बेहतरीन फिल्म थी, लेकिन धड़क-2 इसकी तुलना में बहुत कमजोर है। इसमें जातिवाद की वही पुरानी कहानी दिखाई गई है।"
एक अन्य दर्शक ने कहा, "यह फिल्म बेहद खराब है, एक उबाऊ फिल्म जो बहुत खींची गई है। डायलॉग कमजोर हैं, कास्टिंग सही नहीं है, गाने आकर्षक नहीं हैं, और कहानी कोई छाप नहीं छोड़ती है।"
एक और दर्शक, जिसने इसका तमिल वर्जन परियेरुम पेरुमल देखा था, ने कहा, "मैंने ओरिजिनल फिल्म को 2-3 बार देखा है। इसके निर्देशक मारी सेल्वराज जीनियस हैं। मुझे समझ नहीं आता कि उन्होंने इतनी पावरफुल कहानी को हिंदी में क्यों बर्बाद किया।"
एक और सिनेप्रेमी ने कहा, "शुरुआत अच्छी है, लेकिन बाद में यह भारी हो जाती है। सिद्धांत ने अपने किरदार का अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन फिल्म का संदेश स्पष्ट नहीं है।"
दर्शकों में से कुछ ने फिल्म और कलाकारों की एक्टिंग को सराहा, लेकिन कुल मिलाकर 'धड़क-2' दर्शकों को आकर्षित करने में विफल रही है।