क्या डायबिटीज मरीज नवरात्रि का व्रत रख सकते हैं? अपनाएं ये वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक उपाय

सारांश
Key Takeaways
- डायबिटीज मरीज सावधानी से व्रत रख सकते हैं।
- पौष्टिक और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आहार का सेवन करें।
- डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नियमित रूप से पानी पिएं।
- तली-भुनी चीजों से दूर रहें।
- दवाएं समय पर लें।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। इस अवसर पर भक्तजन नौ दिनों तक व्रत रखकर मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इस दौरान डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों के मन में व्रत रखने को लेकर संदेह उत्पन्न होता है। वे व्रत रखना चाहते हैं, लेकिन सेहत पर बुरा असर न पड़े, इस डर से पीछे हट जाते हैं।
आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही डायबिटीज के मरीजों के लिए कुछ आवश्यक सावधानियों के साथ व्रत रखने को सुरक्षित मानते हैं।
आयुष मंत्रालय और आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, शरीर के पंच तत्त्वों का संतुलन बनाए रखना असली स्वास्थ्य है। अगर व्रत सही तरीके से किया जाए, तो यह शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद करता है। डायबिटीज में व्रत रखना तभी संभव है जब इसे 'भूखा रहने' की बजाय 'सही तरीके से खाने' की प्रक्रिया समझा जाए।
व्रत के दौरान लंबे समय तक खाली पेट न रहें। जब शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है, तो कमजोरी, चक्कर आना, और कभी-कभी बेहोशी तक हो सकती है। इसलिए हर दो से तीन घंटे में कुछ पौष्टिक और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ लेना आवश्यक है। समा के चावल, कुट्टू या राजगिरा का आटा, उबली हुई शकरकंद, मखाने और पनीर जैसे विकल्प अच्छे माने जाते हैं क्योंकि ये धीरे-धीरे पचते हैं और ब्लड शुगर को अचानक नहीं बढ़ने देते।
इसके साथ-साथ पानी पीना भी बहुत जरूरी है। व्रत में डिहाइड्रेशन जल्दी हो सकता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक है। पानी के अलावा नारियल पानी, बिना शक्कर वाला नींबू पानी, या छाछ जैसे पेय शरीर को तरोताजा बनाए रखते हैं और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी भी पूरी करते हैं।
अभी के समय में व्रत में तले-भुने और मिठाइयों का सेवन काफी बढ़ गया है, लेकिन विज्ञान कहता है कि इनसे दूर रहना ही बेहतर है। फ्राई की बजाय उबली, भुनी या हल्की सी सिकी हुई चीजें न केवल शुगर को नियंत्रित रखती हैं बल्कि पेट पर भी अधिक भार नहीं डालती हैं। चीनी की जगह स्टीविया या गुड़ जैसे प्राकृतिक विकल्प चुनें।
आयुर्वेद में व्रत को शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का एक तरीका माना जाता है, इसलिए इस दौरान अपनी दवाएं समय पर लेना न भूलें। यदि आप इंसुलिन पर हैं या कोई विशेष दवा ले रहे हैं, तो व्रत शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।