क्या दिलीप जायसवाल ने एग्जिट पोल पर मोदी की गारंटी और नीतीश के विकास पर वोट दिए?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार की जनता ने एनडीए पर भरोसा जताया है।
- महिलाओं का सशक्तिकरण चुनाव में महत्वपूर्ण रहा।
- राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए गए।
- 20 साल बाद भी एनडीए को वोट मिला है।
- एग्जिट पोल ने एनडीए को बढ़त दिखाई है।
पटना, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अपनी संतोष व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से दोनों चरणों में मतदाताओं ने एनडीए पर विश्वास जताया है, उसकी झलक एग्जिट पोल में स्पष्ट नजर आ रही है।
पटना में राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए बिहार भाजपा के प्रमुख ने कहा कि बिहार की जनता ने पीएम मोदी की गारंटी और नीतीश कुमार के विकास पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं में उत्साह था, महिलाएं सरकार के पक्ष में बोल रही थीं और जिस प्रकार का माहौल था, उसी वजह से एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त दिख रही है।
उन्होंने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उत्साह के साथ 70 प्रतिशत तक मतदान हुआ है। देश के इतिहास में पहली बार 20 साल के शासन के बाद भी एनडीए सरकार को नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के विकास पर वोट मिला है। मोदी की गारंटी और नीतीश के विकास एक एक्स फैक्टर रहे हैं। मतदाता खुलकर सरकार बनाने के लिए वोट देने आए। एनडीए सरकार ने 20 साल के कार्यकाल में विशेषकर महिलाओं का सशक्तिकरण किया। महिलाएं घर से बाहर निकलीं और मतदान किया। मतदान का प्रतिशत सरकार के पक्ष में गया है। 20 साल बाद भी हम देख रहे हैं कि पीएम मोदी की गारंटी और नीतीश के विकास के साथ जनता ने साथ दिया है।
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि जब भी देश पर आतंकवादी हमला होता है, भारत को धमकाने और अस्थिर करने का प्रयास किया जाता है। राहुल गांधी चुप रहते हैं। देश जानना चाहता है कि वे चुप क्यों रहते हैं। वे आतंकवादियों, उग्रवादियों या देशविरोधी ताकतों के खिलाफ खुलकर बात क्यों नहीं करते हैं? भारत की जनता जानना चाहती है कि संकट के समय आप विदेश क्यों भाग जाते हैं। भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों की आलोचना क्यों करते हैं और देश पर मंडरा रहे खतरों के खिलाफ चुप क्यों रहते हैं?
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को गंभीरता से कोई नहीं लेता है। वे आतंकवादियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं रखते हैं।