क्या डीएमके पर चुनाव आयोग की निगरानी आवश्यक है, जबकि एसआईआर के खिलाफ नहीं है?: टीकेएस एलंगोवन
सारांश
Key Takeaways
- डीएमके की एसआईआर प्रक्रिया पर नजर है।
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए।
- विजय पर एलंगोवन के गंभीर आरोप।
चेन्नई, 27 अक्तूबर (राष्ट्र प्रेस)। द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया, टीवीके प्रमुख विजय और धान खरीद विवाद पर विशेष रूप से चर्चा की।
टीकेएस एलंगोवन ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि हर 25 वर्षों में चुनाव कानून के अनुसार देशभर में मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) किया जाता है, लेकिन बिहार में जो कुछ हुआ, वह एसआईआर का सही क्रियान्वयन नहीं था।
उन्होंने कहा, "यहां मुसलमानों और डीएमके समर्थकों के वोट हटाने की कोशिश की गई। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। चुनाव आयोग भाजपा के इशारों पर काम करता है। अगर एसआईआर सही तरीके से किया गया होता, तो हमें कोई आपत्ति नहीं होती।"
एलंगोवन ने यह भी कहा कि बिहार में एसआईआर को लेकर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए थे, जिनका अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक छोटे घर में 48 मतदाता थे, जिनमें से 30 को मृत घोषित कर दिया गया। राहुल गांधी ने उन सभी 30 लोगों को बुलाकर फोटो लेकर चुनाव आयोग को भेजा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि डीएमके एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है, बल्कि चुनाव आयोग पर निगरानी रख रही है।
टीकेएस एलंगोवन ने विजय पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह चुनाव में भी ऐसे ही काम कर रहे हैं। उनका आरोप है कि विजय अपने घर मतदाता बुलाकर उन्हें वोट के लिए पैसे दे रहे हैं, लेकिन इससे वोट नहीं बनेंगे।
एलंगोवन ने विजय के पुराने बयानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने पहले भाजपा के खिलाफ क्या कहा था। उन्होंने सवाल किया कि अब वह कैसे उनके साथ शामिल हो सकते हैं।
धान खरीद विवाद पर एलंगोवन ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में सक्रिय है। हर जिले में अधिकारियों को कार्रवाई के लिए लगाया गया है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एआईडीएमके और भाजपा के पास इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है।