क्या डॉ. मनसुख मांडविया दोहा में द्वितीय विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन का नेतृत्व करेंगे?
                                सारांश
Key Takeaways
- डॉ. मनसुख मांडविया का नेतृत्व भारत की सामाजिक विकास यात्रा को प्रदर्शित करेगा।
 - शिखर सम्मेलन में गरीबी उन्मूलन की सफलता की कहानियाँ साझा की जाएंगी।
 - भारत की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का विस्तार एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
 - उच्च-स्तरीय गोलमेज सम्मेलन में महिलाओं के सशक्तिकरण पर चर्चा होगी।
 - अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से रोजगार सृजन में वृद्धि होगी।
 
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया 4 से 6 नवंबर तक कतर के दोहा में आयोजित द्वितीय विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह शिखर सम्मेलन 1995 के कोपेनहेगन सम्मेलन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का एक वैश्विक मंच है, जिसमें गरीबी उन्मूलन, पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार और सामाजिक समावेशन पर जोर दिया जाएगा।
डॉ. मांडविया उद्घाटन पूर्ण बैठक में भाग लेंगे और भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा, वे विश्व नेताओं के साथ दोहा राजनीतिक घोषणापत्र को अपनाने में भी भाग लेंगे।
वे “सामाजिक विकास के तीन स्तंभों को मजबूत बनाना: गरीबी उन्मूलन, पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार और सभी के लिए उचित कार्य एवं सामाजिक समावेशन” विषय पर एक उच्च-स्तरीय गोलमेज सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे। इस दौरान, वे भारत की समावेशी और डिजिटल सक्षम विकास यात्रा को साझा करेंगे, जिसमें उचित कार्य और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
दोहा सम्मेलन में भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरेगा, जिसने गरीबी उन्मूलन में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। 2011 से 2023 के बीच 248 मिलियन भारतीयों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला गया। 2022-23 में अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों का प्रतिशत घटकर केवल 2.3% रह गया। ये उपलब्धियां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम आवास योजना और जन धन वित्तीय समावेशन जैसे कार्यक्रमों का परिणाम हैं।
भारत की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का विस्तार भी अद्वितीय है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, 2015 में 19% से बढ़कर 2025 में 64.3% प्रतिशत आबादी को कवरेज प्राप्त हो गया है, जिससे 940 मिलियन से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। यह जेएएम ट्रिनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल) के माध्यम से संभव हुआ है, जो पारदर्शी और सीधा लाभ वितरण सुनिश्चित करता है।
शिखर सम्मेलन का एक विशेष आकर्षण नीति आयोग द्वारा 5 नवंबर को आयोजित सत्र होगा, जिसका विषय “गरीबी से मुक्ति के मार्ग: अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाने में भारत का अनुभव” है। इसमें भारत की कहानी सुनाई जाएगी, जिसमें गरीबी उन्मूलन, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों के माध्यम से महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण और सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
ब्राजील, मालदीव और आईएलओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय साझेदार भी विचार-विमर्श करेंगे। यह सत्र सतत विकास के 2030 एजेंडे के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और ‘कोई पीछे न छूटे’ सिद्धांत को रेखांकित करेगा।
डॉ. मांडविया अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय के लिए वैश्विक गठबंधन पर मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। यहां वे समान विकास और सम्मानजनक कार्य के प्रणेता के रूप में भारत की भूमिका पर जोर देंगे।
शिखर सम्मेलन के दौरान, वे कतर, रोमानिया, मॉरीशस और यूरोपीय संघ के मंत्रियों के अलावा आईएलओ महानिदेशक और संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। इनसे श्रम गतिशीलता, कौशल विकास, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन पर सहयोग को मजबूती मिलेगी।
अंत में, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और भारतीय व्यापार एवं पेशेवर परिषद द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। एनसीएस नौकरी तलाशने वालों और नियोक्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का कार्य करता है, जो पारदर्शी और समावेशी श्रम बाजार को बढ़ावा देता है।
केंद्रीय मंत्री कतर के एस्पायर जोन कॉम्प्लेक्स का दौरा करेंगे और प्रमुख खेल अवसंरचना का निरीक्षण करेंगे। यह खेल प्रबंधन और युवा जुड़ाव में सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान का हिस्सा होगा।