क्या करूर हिंसा के लिए 'हीरो-वर्शिप' की संस्कृति जिम्मेदार है? - डॉ. सतीश पूनिया

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क्या करूर हिंसा के लिए 'हीरो-वर्शिप' की संस्कृति जिम्मेदार है? - डॉ. सतीश पूनिया

सारांश

जोधपुर के भाजपा नेता डॉ. सतीश पूनिया ने करूर भगदड़ की घटना को 'हीरो-वर्शिप' की संस्कृति का परिणाम बताया। जानिए उनके विचार और जीएसटी में कमी पर क्या कहा।

Key Takeaways

  • हीरो-वर्शिप की संस्कृति और इसकी समस्याएं
  • क्राउड मैनेजमेंट की आवश्यकता
  • जीएसटी में कमी के फायदे
  • राजनीतिक जिम्मेदारी का महत्व
  • दक्षिण भारत में समाजिक मुद्दे

जोधपुर, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के प्रमुख नेता डॉ. सतीश पूनिया ने रविवार को राजस्थान के जोधपुर में पहुंचकर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुना। उन्होंने तमिलनाडु के करूर जिले में हुई भगदड़ के संदर्भ में अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। पूनिया का मानना है कि ऐसी घटनाओं के पीछे 'हीरो-वर्शिप' की संस्कृति का हाथ है।

सर्किट हाउस में पत्रकारों से संवाद करते हुए, उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं दक्षिण भारत में अधिक होती हैं, जहाँ लोग अपने हीरो के प्रति अंधभक्ति दिखाते हैं और इसके लिए वे अधिक कट्टर होते हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि क्राउड मैनेजमेंट को रैलियों का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। उनके अनुसार, इस संबंध में कोई एसओपी तो बनी हुई है, लेकिन उसका पालन कम ही होता है। सरकार और रैली आयोजकों को इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। यह घटना निस्संदेह दुखद है, लेकिन हर घटना हमें कुछ सिखाती है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि देश की सरकार, जनता और नेता इस सीख को अवश्य लेंगे।

भगदड़ की जांच के लिए आयोग बनाने के सवाल पर, डॉ. पूनिया ने तंज करते हुए कहा कि यह 'सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने' जैसा होता है। आज के समय में जब तकनीक इतनी उन्नत हो गई है, तो पहले से तैयारी आवश्यक है और अनुशासन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

जोधपुर में हुई भगदड़ की घटनाओं और उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक न होने के विषय में पूनिया ने कहा कि हर घटना की अपनी विशेष परिस्थिति होती है। सरकार और प्रशासन कभी नहीं चाहता कि किसी का अहित हो। सभी चीजें व्यवस्था से जुड़ी होती हैं। इसके जो पक्ष हैं, वे इस पर बेहतर तरीके से जानकारी दे सकते हैं।

जीएसटी में कमी के संदर्भ में, डॉ. पूनिया ने बताया कि देश में आर्थिक अनुशासन की कमी थी, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वन नेशन वन टैक्स' की नीति लागू की। जीएसटी में कमी से जनता को लाभ मिल रहा है। गाड़ियों, दवाइयों समेत कई चीजों पर लाभ मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने से ग्राहकों को बड़ी संख्या में लाभ हुआ है। उदाहरण के लिए, मध्यम वर्ग के लिए ट्रैक्टर पर लगभग 50,000 रुपए का लाभ हुआ है, जबकि छोटी गाड़ियों (मारुति और महिंद्रा) पर सीधे 1.5 लाख रुपए तक का लाभ मिल रहा है।

Point of View

व्यवस्था में सुधार और अनुशासन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। यह मुद्दा केवल एक क्षेत्र विशेष का नहीं, बल्कि पूरे देश का है।
NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. सतीश पूनिया ने करूर हिंसा पर क्या कहा?
डॉ. पूनिया ने 'हीरो-वर्शिप' की संस्कृति को करूर में हुई भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया।
जीएसटी में कमी का जनता पर क्या प्रभाव है?
जीएसटी में कमी से जनता को कई उत्पादों पर लाभ मिल रहा है, जैसे गाड़ियों और दवाइयों पर।