क्या आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता जांच के लिए 108 लैब्स को मिली मंजूरी?
सारांश
Key Takeaways
- 108 लैब्स की मंजूरी मिली है।
- आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता जांच की जाएगी।
- फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम लागू होगा।
- भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी की जाएगी।
- आयुर्वेद को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाएगा।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चिकित्सा के स्तर को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। अब मंत्रालय ने आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधियों की गुणवत्ता जांच के लिए कुल 108 लैब खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने इस बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि इन 108 लैब को औषधि नियम, 1945 के प्रावधानों के अंतर्गत लाइसेंस दिया जाएगा।
नई लैब खोलने के साथ-साथ, 34 राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं को उनके ढांचे और कार्यक्षमता को सुदृढ़ करने हेतु सहायता प्रदान की जाएगी। केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थानों को भी ड्रग्स रूल्स 1945 के नियम 160E के तहत मंजूरी दी गई है।
आयुष मंत्री ने कहा, “आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं के लिए फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम को केंद्रीय क्षेत्र योजना और आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना के तहत लागू किया जाएगा, जो देशभर में स्थापित राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र, 5 मध्यवर्ती फार्माकोविजिलेंस केंद्र और 97 परिधीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र के माध्यम से काम करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इन केंद्रों को भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी करने और संबंधित राज्य नियामक प्राधिकरणों को इसकी रिपोर्ट करने का दायित्व सौंपा गया है, ताकि दवाओं के संबंध में भ्रामक जानकारी फैलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। अब तक देशभर में 3,533 जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है।”
इससे पहले भी आयुष मंत्री ने आयुर्वेद के प्रचार और जागरूकता को बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा पाठ्यक्रम में आयुर्वेद को शामिल करने का लक्ष्य रखा था। इस दिशा में पाठ्यक्रम मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है और इसे जल्द ही अनिवार्य भी किया जाएगा।