क्या डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान राष्ट्र निर्माण में अमूल्य नहीं है?: पीएम मोदी

सारांश
Key Takeaways
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा है।
- उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धारणा को उन्होंने मजबूत किया।
- उन्होंने जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाये रखने के लिए संघर्ष किया।
- उनका जीवन हमें त्याग और समर्पण की सीख देता है।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। महान शिक्षाविद्, प्रखर राष्ट्रवादी और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर पीएम मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को याद करते हुए पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। उन्होंने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अद्वितीय साहस और पुरुषार्थ का परिचय दिया। राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान हमेशा श्रद्धापूर्वक याद किया जाएगा।”
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा बताया। उन्होंने कहा, “भारत की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले मां भारती के वरद पुत्र, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटिश: नमन करता हूं। उन्होंने जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाये रखने के लिए वैचारिक और राजनीतिक रूप से संघर्ष किया।”
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. मुखर्जी के जीवन को राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथा बताते हुए कहा, “मां भारती के महान सपूत, भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले, भारतीय जनसंघ के संस्थापक, अद्वितीय शिक्षाविद् एवं प्रखर राष्ट्रवादी, परम श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथा है।”
आज, जब हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में बढ़ रहे हैं, तब हर कदम पर उनका स्मरण हमें शक्ति, प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करता है। ऐसे महान राष्ट्रनायक को बारंबार प्रणाम।”