क्या डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर पठानकोट में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया?

Click to start listening
क्या डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर पठानकोट में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया?

सारांश

पठानकोट में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भाजपा नेताओं ने उनके योगदान को याद किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख नेताओं ने उनकी नीतियों और बलिदान की चर्चा की, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

Key Takeaways

  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भारत की अखंडता का प्रतीक है।
  • जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट की आवश्यकता को समाप्त करने का संघर्ष।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार किया।
  • भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
  • सभा ने हमें उनकी प्रेरणादायक जीवनी को याद करने का अवसर दिया।

पठानकोट, ६ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर रविवार को माधोपुर स्थित ‘एकता स्थल’ पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री राकेश राठौर, पठानकोट के विधायक अश्वनी शर्मा और पूर्व उपसभापति दिनेश सिंह बब्बू विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभा में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे, जिन्होंने भारत की अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले नेता को श्रद्धा से याद किया।

इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश महामंत्री राकेश राठौर ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। स्वतंत्र भारत में भी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था, लेकिन डॉ. मुखर्जी ने इसका विरोध करते हुए बिना परमिट घाटी जाने का साहसिक निर्णय लिया। उन्हें माधोपुर के रावी पुल पर गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया और वहीं संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

राठौर ने कहा कि यह बलिदान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के आत्मसम्मान और एकता की मिसाल था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

पठानकोट विधायक अश्वनी शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाकर डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार किया है। आज हमें अमरनाथ यात्रा के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। जम्मू-कश्मीर अब भारत का पूर्ण और अभिन्न हिस्सा है, जो डॉ. मुखर्जी के त्याग और संघर्ष की ही देन है। डॉ. मुखर्जी के विचार और जीवन हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही हम सशक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।

सभा की शुरुआत सभी नेताओं द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित करके हुई। इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष विजय शर्मा ने उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं और आम जनता का धन्यवाद करते हुए कहा कि डॉ. मुखर्जी का बलिदान हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। आज का भारत उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

Point of View

बल्कि यह भारत की अखंडता और एकता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण पल है। भाजपा नेताओं द्वारा किए गए उल्लेख ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि कैसे उनके विचार आज के भारत में प्रासंगिक हैं।
NationPress
24/07/2025

Frequently Asked Questions

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान क्या है?
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया और जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से संघर्ष किया।
कौन-कौन से नेता इस सभा में शामिल हुए थे?
इस सभा में भाजपा के प्रदेश महामंत्री राकेश राठौर, विधायक अश्वनी शर्मा और पूर्व उपसभापति दिनेश सिंह बब्बू शामिल हुए थे।