क्या देशभर में दुर्गा पूजा का उत्साह देखने को मिल रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- दुर्गा पूजा का आयोजन पूरे देश में धूमधाम से किया जा रहा है।
- भक्त महिषासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में इस पर्व को मनाते हैं।
- ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में भक्तों की बड़ी भीड़ देखी जा रही है।
- विशेष थीम और भव्य पंडाल इस उत्सव की खासियत हैं।
- यह पर्व सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में दुर्गा पूजा का उत्साह सभी जगहों पर महसूस किया जा रहा है। भक्त इस पर्व को महिषासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में लाखों भक्त मां के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं।
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर और इसके आस-पास के इलाकों में इस साल दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। स्टेशन बाजार दुर्गा पूजा समिति ने अपने 70वें वर्षगांठ पर एक विशेष विषय चुना है, जो स्थानीय संदेश फैलाने और अंधविश्वास जैसी प्रथाओं को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है। समिति के अध्यक्ष गणेश प्रसाद साहू ने कहा कि मंडप को खूबसूरती से सजाया गया है, जो देवी दुर्गा की ऊर्जा को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य दुर्गा की शक्ति को मजबूती से प्रस्तुत करना है, जिससे भक्तों में ऊर्जा का संचार हो। इस वर्ष हमने मां दुर्गा के लिए लगभग 1 किलोग्राम वजन का स्वर्ण मुकुट तैयार किया है। इसके अलावा, आभूषण और चांदी की पृष्ठभूमि (मेधा) 1 क्विंटल 20 किलोग्राम चांदी से बनाई गई है। भक्तों की उत्साही प्रतिक्रिया इस उत्सव की सफलता का प्रमाण है।"
वहीं, पश्चिम बंगाल के घाटाल अनुमंडल में भी दुर्गा पूजा की धूम मची हुई है। गोविंदपुर के ग्रामीणों ने वार्ड 17 में 72 फुट ऊंची दुर्गा प्रतिमा स्थापित की है। लगभग 24 लाख रुपए के बजट से निर्मित यह मूर्ति आकर्षण का केंद्र बन गई है। आयोजकों ने बताया कि कलाकार कई विषयों पर प्रतिमाएं बना रहे हैं, लेकिन गोविंदपुर की यह मूर्ति सबसे बड़ी है।
एक आयोजक ने कहा, "पिछले वर्ष कोलकाता की एक प्रसिद्ध समिति ने 72 फुट ऊंचा दुर्गा ठाकुर मंडल बनाया था, जिसने बहुत धूम मचाई। हमने सोचा कि क्यों न अपने क्षेत्र में ऐसा कुछ करें। अब भक्तों को कोलकाता जाने की जरूरत नहीं।"
बिहार की राजधानी पटना में भी दुर्गा पूजा को लेकर लोग बेहद उत्साहित हैं। आशियाना नगर फेज 1 पंडाल में लगभग 30 वर्षों से पूजा भक्ति भाव से हो रही है। पंडित दशरथ नंदन महाराज ने बताया कि मां के पट खुलने से पहले विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गई। उन्होंने कहा, "मां का आगमन हाथी पर हुआ है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, उर्वरता और खुशहाली का प्रतीक है। भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।"
इस वर्ष दुर्गा पूजा का आरंभ हाथी पर आगमन से हुआ, जो 2025 के लिए समृद्ध वर्ष का संकेत देता है। पटना के अन्य पंडालों में भी पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उत्सव चल रहा है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना से शुरू होकर, महा अष्टमी और नवमी तक भजन-कीर्तन का दौर जारी है।
बिहार में दुर्गा पूजा पूर्वी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जहां कन्या पूजन और गरबा नृत्य भी प्रमुख हैं।