क्या डूसू चुनाव में एनएसयूआई की हिंसा शर्मनाक है?

सारांश
Key Takeaways
- डूसू चुनाव में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
- एनएसयूआई पर हिंसा के आरोप लगे हैं।
- डॉ. वीरेंद्र सोलंकी ने इसे शर्मनाक बताया है।
- छात्रों का जनादेश बदलने वाला नहीं है।
- लोकतंत्र का सम्मान आवश्यक है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के दौरान मतदान प्रक्रिया में तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई। एबीवीपी और एनएसयूआई छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर धांधली के आरोप लगाए। इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने एनएसयूआई पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि एनएसयूआई की डूसू चुनाव में हिंसा शर्मनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि एनएसयूआई की हार निश्चित है और बेबुनियाद तथा तथ्यहीन आरोपों से छात्रों का जनादेश नहीं बदलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र टुकड़े-टुकड़े गैंग के झूठे विमर्श को नकारेगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के दौरान किरोड़ीमल कॉलेज और हंसराज कॉलेज जैसे कई स्थानों पर की गई हिंसा की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से इस हिंसा में शामिल एनएसयूआई के गुंडों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एनएसयूआई की छटपटाहट और बौखलाहट ने यह साबित कर दिया है कि वह डूसू चुनाव में बुरी तरह हार रही है।
डॉ. वीरेंद्र सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी का यह पुराना राग है कि जब चुनाव हारने लगते हैं तो पूरी चुनावी प्रक्रिया पर दोष मढ़ देते हैं, जोकि शर्मनाक है। विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र एनएसयूआई को करारा जवाब देंगे। कांग्रेस और उनसे संबद्ध लोगों को लोकतंत्र तथा जनादेश का सम्मान करना होगा। डीयू के एक कॉलेज में ईवीएम पर इंक लगने संबंधी विषय पर सीसीटीवी फुटेज देख लेना चाहिए, जिससे एनएसयूआई के झूठ का पर्दाफाश हो जाएगा।