क्या ईस्ट एशिया समिट में एस जयशंकर ने आतंकवाद से रक्षा के अधिकार को लेकर नई बातें कही?

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क्या ईस्ट एशिया समिट में एस जयशंकर ने आतंकवाद से रक्षा के अधिकार को लेकर नई बातें कही?

Key Takeaways

  • ईस्ट एशिया समिट में भारत की सक्रिय भागीदारी।
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति।
  • समुद्री सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण।
  • तिमोर-लेस्ते का स्वागत।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित 20वें ईस्ट एशिया समिट के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मैं ईएएस की 20वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुभकामनाएं देना चाहता हूं। भारत इस मंच पर विशेष रूप से तिमोर-लेस्ते का स्वागत करता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, हम एक चुनौतीपूर्ण समय में मिल रहे हैं। आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। तकनीकी प्रगति अब और भी प्रतिस्पर्धात्मक हो गई है, और प्राकृतिक संसाधनों की खोज भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक बन चुकी है। ऊर्जा व्यापार लगातार सीमित होते जा रहा है, जिससे बाजारों में विकृतियां उत्पन्न हो रही हैं।

उन्होंने आगे कहा कि बदलाव का हमेशा एक विशेष महत्व होता है और दुनिया इन नए हालातों के अनुसार अपने आपको ढालने के लिए विवश होगी। समायोजन होंगे, गणनाएं लागू होंगी, नई समझ विकसित होगी, नए अवसरों का उदय होगा और मजबूत समाधान निकलेंगे। अंततः, प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा, बाजार का आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता की वास्तविकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बहुध्रुवीयता केवल स्थायी नहीं है, बल्कि बढ़ती भी रहेगी। इस पर गंभीर वैश्विक चर्चा की आवश्यकता है।

एस जयशंकर ने कहा कि हम ऐसे संघर्ष भी देख रहे हैं जिनके निकट और दूर, दोनों ओर गंभीर परिणाम हो रहे हैं। गहरी मानवीय पीड़ा के अलावा, ये खाद्य सुरक्षा को कमजोर करते हैं, ऊर्जा प्रवाह के लिए खतरा पैदा करते हैं और व्यापार को बाधित करते हैं। इसलिए, भारत गाजा शांति योजना का स्वागत करता है। हम यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत भी चाहते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद एक निरंतर और विनाशकारी खतरा बना हुआ है। दुनिया को शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए, इसमें किसी तरह की दुविधा की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता। जयशंकर ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की गतिविधियों और इसके भविष्य की दिशा का पूर्ण समर्थन करता है।

जयशंकर ने आगे कहा कि हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण और 1982 के यूएनसीएलओएस के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता के अनुरूप, समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता मजबूत बनी हुई है। 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि हिंद-प्रशांत महासागर पहल में और भी कई देश शामिल हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि हम गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में एक ईएएस समुद्री विरासत महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव रखते हैं। हम समुद्री सुरक्षा सहयोग पर सातवें ईएएस सम्मेलन की मेज़बानी करना चाहते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, म्यांमार में मार्च में आए भूकंप के दौरान हम 'फर्स्ट रिस्पांडर' थे। भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग पर हमारी परियोजना, जिसमें हम सभी की हिस्सेदारी है, निरंतर प्रगति कर रही है।

उन्होंने अंत में कहा कि भारत शांति, प्रगति और समृद्धि में ईएएस के योगदान को महत्व देता है। हम इस शिखर सम्मेलन के सकारात्मक परिणामों की आशा करते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत ईस्ट एशिया समिट में अपनी सक्रिय भूमिका और वैश्विक सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए तत्पर है। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति भारत की सुरक्षा प्राथमिकताओं में एक महत्वपूर्ण तत्व है।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

ईस्ट एशिया समिट का उद्देश्य क्या है?
ईस्ट एशिया समिट का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सामूहिक चुनौतियों का सामना करना है।
डॉ. एस जयशंकर ने किस मुद्दे पर जोर दिया?
डॉ. एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया।
भारत की भूमिका क्या होगी?
भारत इस मंच पर अपनी सक्रिय भूमिका निभाने और सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।