क्या भारतीय चुनाव आयोग ने 474 'आरयूपीपी' को सूची से हटाया और 359 पर कार्रवाई शुरू की?

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क्या भारतीय चुनाव आयोग ने 474 'आरयूपीपी' को सूची से हटाया और 359 पर कार्रवाई शुरू की?

सारांश

भारतीय निर्वाचन आयोग ने 474 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाया है। साथ ही 359 आरयूपीपी पर कार्रवाई शुरू की गई है। यह प्रयास सक्रिय दलों को बढ़ावा देने का है।

Key Takeaways

  • 474 आरयूपीपी को सूची से हटाया गया।
  • 359 आरयूपीपी पर कार्रवाई शुरू की गई।
  • यह कार्रवाई चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ और पारदर्शी बनाने के लिए की गई।
  • ईसीआई का यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
  • अगले चरण में उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक दलों पर कार्रवाई की गई।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 18 सितंबर को 474 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को अपनी सूची से हटा दिया है। चुनावी प्रणाली को और स्वच्छ और पारदर्शी बनाने के लिए यह कार्रवाई की गई है, साथ ही 359 आरयूपीपी पर कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अंतर्गत की गई है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई राजनीतिक दल लगातार छह वर्षों तक किसी चुनाव में भाग नहीं लेता, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटाया जा सकता है। इस कदम के साथ, पिछले दो महीनों में कुल 808 आरयूपीपी को सूची से हटाया जा चुका है, जिसमें 9 अगस्त को हटाए गए 334 आरयूपीपी भी शामिल हैं।

ईसीआई ने 2019 से एक व्यापक अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य उन आरयूपीपी की पहचान करना और उन्हें हटाना है जो निर्धारित मानदंडों को पूरा करने में असफल रहे हैं। इस अभियान का लक्ष्य निष्क्रिय या अनुपालक दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ बनाना है। पंजीकृत दलों को विशेषाधिकार जैसे प्रतीक चिन्ह और कर छूट मिलते हैं, लेकिन इसके लिए नियमों का पालन आवश्यक है।

दूसरे चरण में, ईसीआई ने 359 अन्य आरयूपीपी की पहचान की है, जो पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अपने वार्षिक लेखापरीक्षित खाते जमा करने में असफल रहे हैं या जिन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन आवश्यक चुनाव व्यय रिपोर्ट नहीं दी। ये दल देश के 23 विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। इन दलों को हटाने से पहले, निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, संबंधित राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इन नोटिसों के जवाब में दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा, और अंतिम निर्णय मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।

ईसीआई का यह कदम न केवल चुनाव प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि केवल सक्रिय और नियमों का पालन करने वाले दल ही पंजीकृत रहें। यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा ताकि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनी रहे।

दूसरे चरण में हटाए गए आरयूपीपी की सबसे बड़ी संख्या 121 उत्तर प्रदेश से है। वहीं, तीसरे चरण के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई में भी सर्वाधिक 127 संख्या उत्तर प्रदेश से ही है।

Point of View

NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय चुनाव आयोग ने कितने आरयूपीपी को हटाया?
भारतीय चुनाव आयोग ने 18 सितंबर को 474 आरयूपीपी को अपनी सूची से हटाया।
आरयूपीपी पर कार्रवाई क्यों की गई?
यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अंतर्गत की गई, जो कहती है कि अगर कोई दल छह वर्षों तक चुनाव में भाग नहीं लेता, तो उसे हटाया जा सकता है।
क्या कार्रवाई के दौरान दलों को सुनवाई का अवसर मिलता है?
जी हां, संबंधित दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे और उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।