क्या ईडी ने क्लाउड पार्टिकल घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है?

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क्या ईडी ने क्लाउड पार्टिकल घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने 'क्लाउड पार्टिकल घोटाले' में बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में 10 ठिकानों पर छापेमारी करते हुए करोड़ों की संपत्ति और नकदी जब्त की गई। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी और ईडी की जांच की विस्तृत जानकारी।

Key Takeaways

  • ईडी ने क्लाउड पार्टिकल घोटाला में 73.72 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की।
  • सुखविंदर सिंह खरौर सहित कई आरोपी गिरफ्तार।
  • व्यवसाय का मॉडल एक मनी रोटेशन स्कीम था।
  • किसी भी निवेशक को किराया नहीं मिल रहा था।
  • ईडी की कार्रवाई से निवेशकों में विश्वास बहाल होगा।

जालंधर, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हजारों करोड़ रुपए के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाला' के मामले में 10 ठिकानों पर छापे मारे हैं। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानों पर की गई।

ईडी ने जानकारी दी है कि छापेमारी के दौरान कुल 73.72 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई, जिसमें नकदी, संपत्ति और शेयर शामिल हैं। ईडी के अनुसार, लगभग 23.90 लाख रुपए की नकदी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, 63.49 करोड़ रुपए के शेयर और 9.99 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां जब्त की गई हैं।

ईडी (जालंधर क्षेत्रीय कार्यालय) की टीम ने उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस और पंजाब पुलिस के सहयोग से बीएनएस-2023 के तहत दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की थी।

जांच में यह सामने आया कि व्यूनाउ समूह के सीईओ और संस्थापक सुखविंदर सिंह खरौर ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर हजारों करोड़ रुपए के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाले' की साजिश रची और निवेशकों को उनकी गाढ़ी कमाई निवेश करने के लिए लुभाया, जिससे बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बिक्री और लीज-बैक मॉडल (एसएलबी मॉडल) पर आधारित 'क्लाउड पार्टिकल' का मूल व्यवसाय अस्तित्वहीन था। कंपनी के पास क्लाउड पार्टिकल्स किराए पर लेने वाले कोई असली ग्राहक नहीं थे। किसी भी डेटा सेंटर से कोई किराया नहीं मिला। यह पूरा व्यवसाय एक मनी रोटेशन स्कीम मात्र था।

ईडी ने कहा कि जब जांच शुरू की गई, तब व्यूनाउ समूह की ओर से किसी भी निवेशक को किराया मिलना भी बंद हो गया, क्योंकि न नए निवेशक आए और न ऐसा कोई ग्राहक मिला जो व्यूनाउ समूह को किराया दे सके और जो संपत्ति मालिकों (निवेशकों) को भुगतान कर सके।

इससे पहले, पीएमएलए के प्रावधानों के तहत ईडी ने इस मामले में तीन बार छापे मारे थे। इसी वर्ष 6 फरवरी को अनंतिम कुर्की आदेश के तहत लगभग 178.12 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई। ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 28 फरवरी 2025 को मुख्य आरोपी सुखविंदर सिंह खरौर और डिंपल खरौर को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इससे पहले 24 फरवरी को एक आरोपी आरिफ निसार की गिरफ्तारी भी हुई थी।

Point of View

बल्कि आर्थिक प्रणाली में भी अव्यवस्था उत्पन्न की है। प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई यह दर्शाती है कि सरकार ऐसे मामलों में सख्त है, और निवेशकों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

क्लाउड पार्टिकल घोटाला क्या है?
क्लाउड पार्टिकल घोटाला एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, जिसमें निवेशकों से लाखों करोड़ रुपए ठगे गए हैं।
ईडी ने कितनी संपत्ति जब्त की है?
ईडी ने इस मामले में 73.72 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है।
क्या इस घोटाले में कोई गिरफ्तारियां हुई हैं?
हाँ, ईडी ने मुख्य आरोपी सुखविंदर सिंह खरौर और अन्य को गिरफ्तार किया है।
क्लाउड पार्टिकल का व्यवसाय मॉडल क्या था?
क्लाउड पार्टिकल का व्यवसाय मॉडल एक मनी रोटेशन स्कीम था, जिसमें कोई असली ग्राहक नहीं थे।
ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य क्या है?
ईडी की कार्रवाई का उद्देश्य निवेशकों के धन की रक्षा करना और घोटाले के आरोपियों को न्याय के दायरे में लाना है।