क्या ईडी ने मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री घोटाले के तहत 15 स्थानों पर छापेमारी की?

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क्या ईडी ने मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री घोटाले के तहत 15 स्थानों पर छापेमारी की?

सारांश

ईडी ने मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच में 15 स्थानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में 43 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई, जो इस घोटाले के बड़े पैमाने को उजागर करती है। क्या यह घोटाला हजारों छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है?

Key Takeaways

  • ईडी ने फर्जी डिग्री घोटाले में 15 जगहों पर छापेमारी की।
  • 43 लाख रुपये की नकदी जब्त की गई।
  • मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह है।
  • जांच में कई जाली शैक्षणिक दस्तावेज शामिल हैं।
  • यह मामला हजारों छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

लखनऊ, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फर्जी डिग्री घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में कुल 15 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया।

ईडी की यह जांच उत्तर प्रदेश एसटीएफ की ओर से मई 2025 में की गई कार्रवाई के आधार पर शुरू की गई थी। 18 मई 2025 को एसटीएफ ने हापुड़ स्थित मोनाड विश्वविद्यालय में छापेमारी कर बड़ी मात्रा में जाली शैक्षणिक दस्तावेज बरामद किए थे। इनमें मार्कशीट, डिग्री, प्रोविजनल और माइग्रेशन सर्टिफिकेट शामिल थे, जिन्हें कथित रूप से विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया था। जांच में पता चला कि विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने हजारों फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उनकी बिक्री कर भारी अवैध कमाई की।

इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और थाना पिलखुआ, जिला हापुड़ में एफआईआर संख्या 290/2025 दर्ज की गई थी। जांच में यह भी सामने आया कि विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा इस संगठित रैकेट का मुख्य सरगना है। वह मोनाड विश्वविद्यालय का कुलाधिपति और नियंत्रण प्राधिकरण है तथा इसी नेटवर्क के माध्यम से नकली डिग्रियों का निर्माण और वितरण कराता था। इसके अलावा, वह सरस्वती मेडिकल कॉलेज, उन्नाव का सचिव भी है।

एसटीएफ ने जांच पूरी करने के बाद 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र संख्या 01/2025 दिनांक 11 अगस्त 2025 को सीजेएम कोर्ट, हापुड़ में दाखिल किया। इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच शुरू की।

ईडी के तलाशी अभियान के दौरान 43 लाख रुपये की नकदी, कई आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं। एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस घोटाले से अर्जित धन को किस प्रकार से निवेश या सफेद किया गया। ईडी की यह कार्रवाई आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे की ओर इशारा कर रही है।

प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई मोनाड विश्वविद्यालय से जुड़े फर्जी डिग्री घोटाले की जांच के सिलसिले में की।

इससे पहले भी ईडी ने इस मामले में कुल 16 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें यूनिवर्सिटी का मुख्य परिसर और उन्नाव स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज भी शामिल है। यह मामला लंबे समय से जांच एजेंसियों की निगरानी में था, क्योंकि इस रैकेट से हजारों छात्रों के भविष्य पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

जांच एजेंसियों के अनुसार, विजेंद्र सिंह और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने मोनाड यूनिवर्सिटी के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्रियों का खेल चलाया, जिसमें कई राज्यों के छात्र शामिल हो सकते हैं।

Point of View

बल्कि यह उन छात्रों के भविष्य से भी खेलता है जो अपनी मेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार और जांच एजेंसियों को इस पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

ईडी ने किस मामले में छापेमारी की?
ईडी ने फर्जी डिग्री घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी की।
छापेमारी के दौरान कितनी राशि बरामद हुई?
छापेमारी के दौरान 43 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई।
इस घोटाले का मुख्य सरगना कौन है?
विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा इस संगठित रैकेट का मुख्य सरगना है।
कितने स्थानों पर छापेमारी की गई?
ईडी ने कुल 15 स्थानों पर छापेमारी की।
इस घोटाले में कितने लोग गिरफ्तार हुए?
इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।