क्या लद्दाख ने डिजिटल भूमि रिकॉर्ड पोर्टल लॉन्च कर सुशासन में नया मानक स्थापित किया?
सारांश
Key Takeaways
- लद्दाख भूमि रिकॉर्ड वेब जीआईएस पोर्टल का उद्घाटन किया गया है।
- यह पोर्टल नागरिकों को पारदर्शी और विश्वसनीय भूमि सेवाएं प्रदान करेगा।
- यह डिजिटल इंडिया मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इससे भूमि विवादों में कमी आएगी।
- सिर्फ एक क्लिक में भूमि रिकॉर्ड की जानकारी उपलब्ध होगी।
लेह, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने सोमवार को लद्दाख भूमि रिकॉर्ड वेब जीआईएस पोर्टल के सफल उद्घाटन के साथ डिजिटल इंडिया मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने राजस्व विभाग द्वारा विकसित इस पोर्टल का उद्घाटन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सरल, पारदर्शी और विश्वसनीय भूमि संबंधी सेवाएं प्रदान करना है।
लॉन्च समारोह में संबोधन करते हुए उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि भूमि रिकॉर्ड किसी भी प्रशासन की आधारशिला होते हैं। स्पष्ट, अद्यतन और प्रामाणिक रिकॉर्ड न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, बल्कि विकास योजनाओं और नीतिगत निर्णयों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि लद्दाख के भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग कर वास्तविक भूमि स्थितियों को सटीक रूप से दर्ज किया जा रहा है, जिससे सटीकता, विश्वसनीयता और कानूनी स्पष्टता सुनिश्चित हो रही है।
एलजी ने इस पहल को प्रौद्योगिकी-संचालित शासन का नया मानक बताते हुए कहा कि पोर्टल के माध्यम से नागरिक ऑनलाइन भूमि रिकॉर्ड देख, प्राप्त और सत्यापित कर सकेंगे। इससे कार्यालयों में बार-बार जाने की आवश्यकता कम होगी, पारदर्शिता बढ़ेगी, भूमि विवादों में कमी आएगी और प्रशासन में जनता का विश्वास मजबूत होगा। उन्होंने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया, जीवन की सुगमता और समावेशी विकास के दृष्टिकोण से इस पहल को जोड़ा।
उपराज्यपाल ने कहा कि सुशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और जन-संवेदनशीलता सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस पोर्टल को पारदर्शी भर्ती जैसी अन्य पहलों के साथ सुशासन का जीवंत उदाहरण बताया। एलजी ने मुख्य सचिव डॉ. पवन कोटवाल, राजस्व विभाग, जिला प्रशासन और तकनीकी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
कार्यक्रम में भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी ने लद्दाख प्रशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुछ ही राज्यों में ऐसी प्रगति हुई है और यह लद्दाखियों के लिए 'सपना सच होने' जैसा है। उन्होंने नक्शा (नेशनल जियोस्पेशियल नॉलेज-बेस्ड लैंड सर्वे ऑफ अर्बन हैबिटेशन्स) प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी, जो डीआईएलआरएमपी (डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम) के तहत एक अग्रणी पहल है। लद्दाख को इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया।
मुख्य सचिव डॉ. पवन कोटवाल ने बताया कि पोर्टल से जारी दस्तावेज कानूनी मान्यता प्राप्त हैं, जिनका उपयोग ऋण, संपत्ति लेन-देन और अन्य कार्यों में किया जा सकता है। लेह के सहायक आयुक्त राजस्व, शब्बीर हुसैन ने लाइव प्रदर्शन कर बताया कि नागरिक 18 विभिन्न भूमि रिकॉर्ड संबंधी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।