क्या बैंक लोन फ्रॉड मामले में ओडिशा, दिल्ली और अन्य राज्यों में ईडी ने छापेमारी की?
                                सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने 73 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड में छापेमारी की।
 - एसआर एल्कोबेव प्राइवेट लिमिटेड का नाम प्रमुखता से सामने आया है।
 - जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बरामद किए गए।
 - यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई है।
 - बैंक को इस धोखाधड़ी से बड़ा नुकसान हुआ है।
 
भुवनेश्वर, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड और पंजाब में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की और एक प्राइवेट कंपनी से जुड़े 73 करोड़ रुपए के बैंक लोन फ्रॉड के संदर्भ में महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जब्त किए। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि ईडी की भुवनेश्वर जोनल यूनिट द्वारा किए गए तलाशी अभियान के दौरान, एसआर एल्कोबेव प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ मामलों में कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और करोड़ों रुपए की संपत्ति से संबंधित दस्तावेज़ बरामद किए गए।
ईडी की यह कार्रवाई 29 अक्टूबर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई थी।
एसआर एल्कोबेव प्राइवेट लिमिटेड और अन्य पर पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन बैंक (पहले इलाहाबाद बैंक) को 73 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने बैंक लोन लेकर पैसे को अन्य कंपनियों में गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
ईडी ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) द्वारा पीएमएलए, 2002 के तहत शेड्यूल किए गए अपराधों के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच प्रारंभ की।
जांच के दौरान, ईडी ने ऐसे दस्तावेज़ बरामद किए, जिससे पता चला कि एसआर एल्कोबेव प्राइवेट लिमिटेड से ब्रूफोर्स टेक्नोलॉजीज और अन्य कंपनियों, संस्थाओं और बिजनेस पार्टनर्स को लोन के पैसे का सिस्टमैटिक डायवर्जन किया गया था।
ईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि छापेमारी के दौरान कई करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी से जुड़े कई दस्तावेज़ भी बरामद किए गए, जिससे संकेत मिलता है कि गलत तरीके से इस्तेमाल किए गए फंड्स से एसेट्स खरीदे गए थे।
ईडी की जांच में यह भी पाया गया कि एसआर एल्कोबेव प्राइवेट लिमिटेड ने बैंकों से कुल 73 करोड़ रुपए की क्रेडिट फैसिलिटी ली थी, लेकिन इसके अधिकारियों ने इस फैसिलिटी का गलत इस्तेमाल कर गैर-कानूनी संपत्ति हासिल की और अन्य साथियों की बिजनेस गतिविधियों को फंड किया।
कंपनी के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया है कि कंपनी ने अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर बैंक से लिया गया पैसा गलत जगह पर खर्च कर दिया, जबकि बैंक ने इसे किसी विशेष काम के लिए मंजूर किया था। इससे बैंक को ठगी का नुकसान हुआ और सरकारी खजाने को भी बड़ा घाटा लगा।
बयान में आगे कहा गया कि ईडी ने इस फ्रॉड से जुड़े व्यक्तियों, डायरेक्टर्स और बेनिफिशियरी एंटिटीज की भूमिका की विस्तार से जांच प्रारंभ कर दी है और समय के साथ संदिग्धों के खिलाफ और सबूत इकट्ठा किए जाने की संभावना है।