क्या चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अधिकारियों का पारिश्रमिक बढ़ाया?

सारांश
Key Takeaways
- बूथ लेवल अधिकारियों का पारिश्रमिक 12,000 रुपए हो गया है।
- मतदाता सूची पुनरीक्षण में फर्जी मतदाताओं की पहचान हो रही है।
- अधिकारियों की भूमिका को मान्यता दी गई है।
- असिस्टेंट और इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को पहली बार मानदेय दिया गया है।
- मतदाता सूची लोकतंत्र की आधारशिला है।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में वर्तमान में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण के बीच, भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को बूथ लेवल अधिकारियों के पारिश्रमिक में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आयोग द्वारा एक अधिसूचना भी जारी की गई है, जिसमें आयोग ने अपने निर्णय के बारे में जानकारी दी है।
इस अधिसूचना के अनुसार, बूथ लेवल अधिकारियों को पहले 6,000 रुपए की राशि मिलती थी, जिसे बढ़ाकर अब 12,000 रुपए कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, मतदाता सूची के पुनरीक्षण में शामिल बूथ लेवल अधिकारियों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को 1,000 रुपए से बढ़ाकर अब 2,000 रुपए कर दिया गया है। वहीं, बूथ लेवल पर्यवेक्षक को पहले 12,000 रुपए मिलते थे, जिसे बढ़ाकर अब 18,000 रुपए कर दिया गया है। असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को मिलने वाला पारिश्रमिक अब 25,000 रुपए है, जबकि इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर का पारिश्रमिक 30,000 रुपए कर दिया गया है।
इसके अलावा, निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की आधारशिला होती है, जिसे हमारे आयोग के अधिकारी मिलकर तैयार करते हैं। इसीलिए, हमने उनके पारिश्रमिक को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में बताया कि इससे पहले अधिकारियों के पारिश्रमिक में ऐसा संशोधन 2015 में किया गया था। इसके साथ ही, यह पहली बार है जब असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और इलेक्ट्रॉल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर को मानदेय देने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि बिहार में वर्तमान में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है, जिसके तहत फर्जी मतदाताओं को पहचानने का कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि बांग्लादेश और नेपाल के कई नागरिक फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं और यहाँ के लाभ उठा रहे हैं। इसलिए, ऐसे लोगों की पहचान के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण आवश्यक है।