क्या ईपीएस ने स्टालिन को डीएमके की विफलताओं पर सार्वजनिक मंच पर सामना करने की चुनौती दी?

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क्या ईपीएस ने स्टालिन को डीएमके की विफलताओं पर सार्वजनिक मंच पर सामना करने की चुनौती दी?

सारांश

तमिलनाडु में राजनीतिक खेल जारी है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री ईपीएस ने मुख्यमंत्री स्टालिन को उनकी सरकार की विफलताओं पर चुनौती दी। क्या यह राजनीतिक उठापटक राज्य की राजनीति को प्रभावित करेगी?

Key Takeaways

  • ईपीएस की खुली चुनौती ने राजनीतिक माहौल को गर्म किया है।
  • कल्लाकुरिची का विकास एआईएडीएमके सरकार की उपलब्धि है।
  • स्टिकर पॉलिटिक्स पर आरोप गंभीर हैं।
  • लैपटॉप वितरण योजना में डीएमके की देरी पर सवाल उठाए गए हैं।

चेन्नई, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को फिर से एक खुली चुनौती दी है और कहा है कि उनकी ‘खुली चुनौती’ अभी भी जारी है।

ईपीएस ने स्टालिन से डीएमके सरकार के शासन की उपलब्धियों, वादों की अनदेखी और प्रशासनिक विफलताओं पर सार्वजनिक मंच पर सीधा सामना करने का आग्रह किया है।

कल्लाकुरिची में मुख्यमंत्री स्टालिन के हालिया भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए ईपीएस ने कहा कि यह विडंबना है कि स्टालिन ने उसी जिले से ‘खुली चुनौती’ देने का निर्णय लिया, जिसका गठन और विकास एआईएडीएमके सरकार के दौरान हुआ। उन्होंने कहा, "क्या मुख्यमंत्री भूल गए कि कल्लाकुरिची जिला मेरे नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार ने स्थापित किया था? वहां का सरकारी मेडिकल कॉलेज एआईएडीएमके की स्थायी उपलब्धि है।"

ईपीएस ने डीएमके सरकार पर ‘स्टिकर पॉलिटिक्स’ का आरोप लगाते हुए कहा कि स्टालिन का पूरा कार्यकाल एआईएडीएमके की योजनाओं पर स्टिकर चिपकाने, रिबन काटने और फोटो शूट में बीत गया है। ईपीएस ने कहा, "जब 95 प्रतिशत समय पुरानी योजनाओं पर स्टिकर लगाने में गया, तो बाकी 5 प्रतिशत पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार भी क्या बचा है?"

उन्होंने डीएमके पर कानून-व्यवस्था को गड़बड़ करने, महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डालने और कई वर्गों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर करने का गंभीर आरोप लगाया।

ईपीएस ने पूछा, "पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था को खत्म करने के बाद क्या आपको अपनी कॉलर ऊंची करके बोलते समय शर्म नहीं आती?"

लैपटॉप वितरण योजना पर हमला करते हुए ईपीएस ने कहा कि डीएमके ने साढ़े चार साल तक लैपटॉप देने से इनकार किया, लेकिन चुनाव के डर से अब जल्दबाजी में बांट रही है। उन्होंने छात्रों के लिए छह महीने के एआई सब्सक्रिप्शन की घोषणा को भी ‘धोखा’ करार दिया और कहा, "20 लाख लैपटॉप का दावा है, लेकिन असल में कितने छात्रों तक पहुंचे और कब? आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल है।"

Point of View

जहां विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। ईपीएस के सवालों का जवाब देना स्टालिन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब बात उनकी सरकार की विफलताओं की हो।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

ईपीएस ने स्टालिन को कौन सी चुनौती दी?
ईपीएस ने स्टालिन को डीएमके सरकार के शासन रिकॉर्ड और प्रशासनिक विफलताओं पर सार्वजनिक मंच पर सामना करने की चुनौती दी।
डीएमके सरकार पर ईपीएस ने क्या आरोप लगाए?
ईपीएस ने आरोप लगाया कि डीएमके सरकार ने कानून-व्यवस्था को बिगाड़ा और महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डाला।
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