क्या ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सरकार पर ‘अराजक और फासीवादी’ रवैये का आरोप लगाया?

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क्या ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सरकार पर ‘अराजक और फासीवादी’ रवैये का आरोप लगाया?

सारांश

चेन्नई में, एआईएडीएमके के महासचिव ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारी की निंदा की और डीएमके सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षकों के प्रति अपने वादे पूरे नहीं किए हैं, और यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। जानें इस मुद्दे पर उनकी क्या राय है।

Key Takeaways

  • ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की।
  • डीएमके सरकार पर फासीवादी मानसिकता का आरोप।
  • शिक्षकों की मांगों को अनदेखा किया गया।
  • संपूर्ण घटनाक्रम ने लोकतंत्र पर सवाल उठाए।

चेन्नई, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के महासचिव और तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री थिरु एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने शुक्रवार को इंटरमीडिएट शिक्षकों की गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की।

ये शिक्षक वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान डीएमके द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की मांग को लेकर विरोध कर रहे थे।

ईपीएस ने एक बयान में कहा कि डीएमके सरकार के इशारे पर राज्य पुलिस द्वारा शिक्षकों की गिरफ्तारी का यह घटनाक्रम तथाकथित 'स्टालिन मॉडल' प्रशासन की अराजकता को उजागर करता है।

उन्होंने मुख्यमंत्री को 'कठपुतली' बताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर पुलिस को छोड़ दिया, जो उनकी अपनी पार्टी द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की मांग कर रहे थे। यह निंदनीय है।”

ईपीएस ने कहा कि डीएमके सरकार ने बार-बार 'समान काम के लिए समान वेतन' का वादा किया था, लेकिन पिछले साढ़े चार वर्षों से शिक्षकों को सड़कों पर आंदोलन करने दिया और चुप्पी साधी रही।

उन्होंने कहा, “चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे करना और फिर बिना समाधान के शिक्षकों को अनंतकाल तक विरोध प्रदर्शन करने देना डीएमके सरकार की फासीवादी मानसिकता को दर्शाता है। अगर सरकार का वादा पूरा करने का इरादा नहीं है, तो कम से कम इसे स्वीकार करने की ईमानदारी दिखानी चाहिए।”

विरोध कर रहे शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई की निंदा करते हुए ईपीएस ने डीएमके सरकार से अपने टकरावपूर्ण और अराजक रवैये को तुरंत छोड़ने की अपील की।

उन्होंने कहा, “स्टालिन मॉडल वाली डीएमके सरकार को शिक्षकों को विरोधी के रूप में देखना बंद करना चाहिए और पुलिस कार्रवाई के जरिए आवाज़ दबाने के बजाय अपने चुनावी वादों को तुरंत पूरा करने के लिए कदम उठाने चाहिए।”

Point of View

बल्कि यह लोकतंत्र की परिभाषा और सरकार की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है। यदि सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर सकती, तो उसे स्पष्टता और ईमानदारी से अपने कार्यों को स्वीकार करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी की आवाज सुनी जाए।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारियों पर क्या कहा?
ईपीएस ने शिक्षकों की गिरफ्तारियों की निंदा करते हुए इसे अराजकता और फासीवाद का उदाहरण बताया।
डीएमके सरकार ने शिक्षकों के लिए क्या वादा किया था?
डीएमके सरकार ने 'समान काम के लिए समान वेतन' का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया।
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