क्या फडणवीस सरकार ने हिंदी विवाद पर उठाया बड़ा कदम?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी को प्राथमिक विद्यालय में अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए।
- सरकार ने विरोध प्रदर्शन से पहले ही 'सिक्सर' मारा है।
- जातिगत जनगणना का निर्णय ऐतिहासिक है।
- कांग्रेस पर तंज कसते हुए आठवले ने पूर्व की सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया।
रायपुर, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में 'हिंदी' विवाद को लेकर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में हिंदी भाषा का उपयोग होना चाहिए, लेकिन इसकी शुरुआत प्राथमिक विद्यालय से नहीं होनी चाहिए। इसी दौरान, रामदास आठवले ने विपक्ष के विरोध प्रदर्शन से पहले सरकार द्वारा लिए गए निर्णय पर भी अपनी राय व्यक्त की।
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं। रायपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "राज्य में हिंदी को लेकर कुछ व्यक्तियों का कहना है कि 5वीं कक्षा के बाद इसे लागू किया जा सकता है, लेकिन इसके पहले इसे तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र में हिंदी के खिलाफ जो आंदोलन हो रहा था, उसे सरकार ने पहले ही 'सिक्सर' मारकर समाप्त कर दिया है।"
आठवले ने आगे कहा, "हिंदी को अनिवार्य किया जाना चाहिए, लेकिन प्राथमिक स्तर पर नहीं, क्योंकि वहां 6 साल के छोटे बच्चे होते हैं। यह निर्णय महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है।"
केंद्रीय मंत्री ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस पार्टी पर तंज कसा। उन्होंने कहा, "एनडीए सरकार ने जातीय जनगणना का निर्णय लिया है, जो ऐतिहासिक है। लोगों की तरफ से इस विषय पर मांग उठ रही थी। यह एक महत्वपूर्ण विषय है और समाज के समावेशी विकास के लिए आवश्यक है।"
उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी का मन ठीक नहीं है, इसलिए वे हमेशा तंज कसते रहते हैं। कांग्रेस के समय में ऐसा निर्णय नहीं लिया गया था। राहुल गांधी लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार में पहले यह क्यों नहीं किया?" उन्होंने यह भी कहा कि जातीय जनगणना से वंचित वर्गों को योजनाओं का बेहतर लाभ मिल सकेगा।