क्या गढ़चिरौली में 11 हार्डकोर माओवादी कैडर ने किया सरेंडर?
सारांश
Key Takeaways
- 11 माओवादी कैडर ने आत्मसमर्पण किया।
- माओवादी विचारधारा अब खोखली हो चुकी है।
- सरेंडर करने वालों पर कुल 82 लाख रुपए का इनाम था।
- इस साल 112 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं।
- डीजीपी ने पुलिस की बहादुरी की तारीफ की।
गढ़चिरौली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र पुलिस को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है। प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के 11 सीनियर और हार्डकोर कैडर ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें दो डिवीजनल कमेटी सदस्य, तीन प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य, दो एरिया कमेटी सदस्य और चार आम पार्टी सदस्य शामिल हैं। इन सभी पर कुल 82 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
खास बात यह है कि इनमें से चार कैडर ने अपनी वर्दी और हथियारों के साथ सरेंडर किया। सबसे बड़ा नाम 57 साल के रमेश उर्फ भीमा उर्फ बाजू गुड्डी लेकामी का है, जो भामरागढ़ एरिया का डिवीजनल कमेटी सदस्य था। अन्य सदस्य छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर जिलों के निवासी हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
इस वर्ष का यह सबसे बड़ा सरेंडर नहीं है, लेकिन इसका महत्व बहुत अधिक है। अब तक इस साल 2025 में गढ़चिरौली में 112 हथियारबंद माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं। केवल इसी साल जनवरी में 11 और अक्टूबर में पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू समेत 61 बड़े कैडर ने सरेंडर किया था। कुल मिलाकर 2005 से अब तक 783 सक्रिय माओवादी गढ़चिरौली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं।
डीजीपी रश्मि शुक्ला दो दिन के दौरे पर गढ़चिरौली आई थीं। उन्होंने कहा कि माओवादी विचारधारा अब खोखली साबित हो चुकी है और आम आदिवासी उसकी हिंसा से तंग आ चुके हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में कैडर सरेंडर कर रहे हैं। उन्होंने बचे हुए माओवादियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर सम्मान की जिंदगी जिएं। महाराष्ट्र सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति इनके लिए दरवाजा खोलती है।
कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने सी-60 कमांडो और अधिकारियों को सम्मानित किया, जिन्होंने लाहेरी जंगल में अक्टूबर में भूपति सहित 61 माओवादियों का सरेंडर करवा दिया था। डीजीपी ने उनकी बहादुरी और समर्पण की तारीफ की।
इस अवसर पर गढ़चिरौली पुलिस ने एक विशेष गाइडबुक भी जारी की, जिसका नाम है, ‘प्रोजेक्ट उड़ान - विकास की एक झलक।’ यह गाइडबुक दूरदराज के आदिवासी इलाकों में चल रही सरकारी योजनाओं की आसान जानकारी देती है। डीजीपी ने इसे लॉन्च करते हुए कहा कि अब पुलिस केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि विकास का माध्यम भी बनेगी।
इस कार्यक्रम में एडीजी (स्पेशल ऑपरेशंस) डॉ. छेरिंग दोरजे, डीआईजी अंकित गोयल और एसपी नीलोत्पल जैसे कई बड़े अधिकारी मौजूद थे। पुलिस का कहना है कि यह सफलता गढ़चिरौली पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान का परिणाम है। माओवादी आंदोलन को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है और आने वाले दिनों में और सरेंडर होने की संभावना है।