क्या जिन घरों में अंधेरा है, वहां रोशनी पहुंचाना ही दीपावली की सच्ची पूजा है: गजेंद्र सिंह शेखावत?

सारांश
Key Takeaways
- दीपावली का पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है।
- गजेंद्र सिंह शेखावत ने रोशनी पहुंचाने की अपील की है।
- जीएसटी की कटौती से बिक्री में वृद्धि हुई है।
- बिहार में एनडीए की जीत की संभावना है।
- संदेश में विकास और आत्मनिर्भरता का महत्व है।
जोधपुर, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली के इस शुभ अवसर पर सोमवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने निवास पर आम नागरिकों से भेंट की और उन्हें इस त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि दीपों का यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का प्रतीक है।
शेखावत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "आप सभी को दीपावली की हृदयपूर्वक शुभकामनाएं। आपके जीवन में नए प्रकाश का उदय हो और इन दीपों की रोशनी में सभी तप, कष्ट और दुख जलकर भस्म हो जाएं।" उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि इस दीपावली पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि जिन घरों में आज भी अंधेरा है, वहां अपने प्रयासों से रोशनी पहुंचाने का कार्य करें। यही सच्ची पूजा है।
केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में जीएसटी स्लैब में की गई कटौती पर कहा कि इससे देश के बाजारों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है। उन्होंने बताया कि जीएसटी कम करने और कंज्यूमर गुड्स पर टैक्स घटाने से मार्केट में भारी उछाल आया है। केवल इलेक्ट्रॉनिक मार्केट में ही लगभग 20 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त बिक्री हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय ने देश में डबल दिवाली का माहौल बना दिया है।
शेखावत ने कहा कि इस निर्णय से न केवल बिक्री बढ़ी है बल्कि देश की मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार सृजन में भी तेजी आई है। जीएसटी में कमी केवल बचत का विषय नहीं है, इससे उत्पादन बढ़ता है और जब उत्पादन बढ़ता है तो रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनने जा रही है।
जनता ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों पर भरोसा जताया है। दीपावली के इस अवसर पर शेखावत का संदेश न केवल शुभकामनाओं से भरा था, बल्कि इसमें विकास, आत्मनिर्भरता और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता का स्पष्ट संदेश भी नजर आया।