क्या 11वीं शताब्दी का यह मंदिर बढ़ती गणपति की प्रतिमा का स्थान है?

Click to start listening
क्या 11वीं शताब्दी का यह मंदिर बढ़ती गणपति की प्रतिमा का स्थान है?

सारांश

कनिपकम श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर की अद्भुत कहानी और बढ़ती गणपति की प्रतिमा के रहस्य को जानें। इस मंदिर का इतिहास और मान्यताओं के पीछे छिपे चमत्कारों का अनुभव करें।

Key Takeaways

  • कनिपकम मंदिर 11वीं शताब्दी में स्थापित है।
  • यहाँ गणपति की प्रतिमा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कनिपकम का अर्थ है 'जल से भरा स्थान'।
  • हर साल यहाँ ब्रह्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
  • मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति है।

चित्तूर, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहाँ के हर राज्य में अनगिनत मंदिर हैं, जो केवल ईंट-पत्थरों से बने धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का अद्भुत संगम हैं। ऐसा ही एक गणपति का मंदिर तिरुपति से 68 किलोमीटर और चित्तूर से महज 11 किलोमीटर दूर है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित कनिपकम श्री वरसिद्धि विनायक स्वामी मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अद्भुत पौराणिक कथा और चमत्कारिक मान्यताएँ इसे खास बनाती हैं।

आंध्र प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर इस मंदिर की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। यह मंदिर न केवल आंध्र प्रदेश के, बल्कि देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके पीछे की कथा के अनुसार, प्राचीन काल में तीन भाई थे, जिनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। उन्होंने खेती करने का निर्णय लिया और जमीन में कुआं खोदना शुरू किया। खुदाई के दौरान उनका यंत्र कठोर वस्तु से टकराया और वहां से रक्त प्रवाहित होने लगा। आश्चर्यजनक रूप से, उसी क्षण तीनों भाई अपनी विकलांगता से मुक्त हो गए। जब गाँव वाले वहाँ पहुँचे, तो उन्हें कुएं में गणेश जी की मूर्ति दिखाई दी। ग्रामीणों ने और खुदाई की, लेकिन मूर्ति का आधार नहीं मिला।

इस घटना के बाद क्षेत्र का नाम 'कनिपकम' पड़ा, जहाँ 'कनि' का अर्थ है आर्द्रभूमि और 'पकम' का अर्थ है पानी का प्रवाह। कुएं का पवित्र जल भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जिसे शारीरिक और मानसिक रोगों को ठीक करने में प्रभावी माना जाता है।

आज भी यह प्रतिमा उसी जल में विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति का आकार निरंतर बढ़ रहा है। इसका प्रमाण यह है कि लगभग 50 वर्ष पूर्व चढ़ाया गया चांदी का कवच अब मूर्ति पर नहीं बैठता। वर्तमान में केवल मूर्ति का घुटना और पेट ही जल से ऊपर दिखाई देता है।

गणपति के इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल सम्राट कुलोत्तुंग प्रथम ने कराया था। इसके बाद 1336 में विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने इसका विस्तार और जीर्णोद्धार किया। नदी के किनारे बसे इस तीर्थ का नाम 'कनिपकम' पड़ा, जिसका अर्थ है, जल से भरा हुआ स्थान। स्थानीय लोग गणपति को जल का देवता भी मानते हैं।

कनिपकम विनायक मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ दर्शन करने से पाप नष्ट होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मंदिर में विशेष नियम है कि जो भी भक्त पापों की क्षमा चाहता है, उसे पहले पास की नदी में स्नान कर यह प्रण लेना होता है कि वह पुनः ऐसा पाप नहीं करेगा। इसके बाद जब वह गणेश जी के दर्शन करता है, तो उसके पाप समाप्त हो जाते हैं।

हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से शुरू होने वाला 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भगवान विनायक की प्रतिमा को भव्य वाहन पर शोभायात्रा के रूप में निकाला जाता है। देशभर से हजारों श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने आते हैं।

कनिपकम मंदिर सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति (86 किमी) और रेलवे स्टेशन चित्तूर (12 किमी) है। आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम तिरुपति और वेल्लोर से नियमित बसें संचालित करता है।

Point of View

NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

कनिपकम मंदिर का इतिहास क्या है?
कनिपकम मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल सम्राट कुलोत्तुंग प्रथम ने कराया था और बाद में विजयनगर साम्राज्य ने इसका विस्तार किया।
क्या इस मंदिर में गणपति की मूर्ति बढ़ती है?
हाँ, भक्तों का मानना है कि गणपति की मूर्ति निरंतर आकार में बढ़ रही है, जिसका प्रमाण यह है कि 50 वर्ष पूर्व चढ़ाया गया चांदी का कवच अब मूर्ति पर फिट नहीं होता।
कनिपकम का अर्थ क्या है?
कनिपकम का अर्थ है 'जल से भरा हुआ स्थान', जहाँ 'कनि' का मतलब है आर्द्रभूमि और 'पकम' का मतलब है पानी का प्रवाह।
इस मंदिर में कौन सी विशेष पूजा होती है?
इस मंदिर में हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से शुरू होने वाला 21 दिनों का ब्रह्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
इस मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा कहाँ है?
कनिपकम मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति है, जो कि 86 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।