क्या झारखंड के गढ़वा के किसान ने ग्राफ्ट खेती से सबका ध्यान खींचा?

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क्या झारखंड के गढ़वा के किसान ने ग्राफ्ट खेती से सबका ध्यान खींचा?

सारांश

गढ़वा के किसान हृदयनाथ चौबे ने ग्राफ्ट खेती में अद्वितीय सफलता पाई है, जिससे अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। उनकी तकनीक से फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ी है और किसानों की आय में सुधार हुआ है। जानिए कैसे एक छोटे से गांव ने कृषि के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया।

Key Takeaways

  • ग्राफ्ट खेती से फसलों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
  • हृदयनाथ चौबे ने आधुनिक तकनीकों को अपनाकर सफलता प्राप्त की।
  • ग्राफ्टेड पौधे सामान्य पौधों की तुलना में दोगुना उत्पादन देते हैं।
  • फसल का अच्छा मूल्य प्राप्त करने के लिए ऑफ-सीजन में भी ग्राफ्टेड पौधों की खेती की जा सकती है।
  • किसान अब नवीनतम तकनीकों को अपनाकर अपने लाभ को बढ़ा रहे हैं।

रांची, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड-उत्तर प्रदेश सीमा के निकट स्थित गढ़वा गांव ने टमाटर और बैंगन जैसी फसलों की ग्राफ्ट खेती में अद्वितीय सफलता हासिल की है। इस परिवर्तन के पीछे एक स्कूल के प्रधानाध्यापक से किसान बने हृदयनाथ चौबे का योगदान है।

सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हृदयनाथ चौबे ने ग्राफ्ट खेती को अपनाया और जिले के बंशीधर नगर प्रखंड में आधुनिक तकनीकों से ग्राफ्टेड टमाटर और बैंगन की खेती कर रहे हैं। उनके प्रयासों के फलस्वरूप, अब झारखंड के किसान उनके अनुसरण कर रहे हैं।

हृदयनाथ चौबे ने सेवानिवृत्त होने के बाद खेती शुरू की और धान, गेहूं और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों से कम आय प्राप्त करने वाले किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए नए तरीके खोजने का प्रयास किया।

उनकी प्रेरणा से अन्य किसान भी नई तकनीकों को अपनाते हुए आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।

शुरुआत में, हृदयनाथ चौबे ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से 10 रुपए प्रति पौधे की दर से ग्राफ्टेड पौधे मंगवाए।

उनके अनुसार, ग्राफ्टेड पौधे सामान्य पौधों की तुलना में दोगुना उत्पादन देते हैं और रोगों के प्रति अधिक सहनशील होते हैं, जिससे किसानों को बेहतर लाभ होता है।

इस पौधे की एक विशेषता यह है कि इसे किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। यदि इसे ऑफ-सीजन में लगाया जाए, तो किसानों को इसके अच्छे दाम मिलते हैं, जिससे मुनाफा भी बढ़ता है।

उन्होंने बताया कि धान और गेहूं की खेती से किसान प्रति एकड़ 30,000 रुपए से अधिक नहीं कमा सकता, जबकि आधुनिक तकनीकों से सब्जियों की खेती करके किसान प्रति एकड़ 2-3 लाख रुपए तक कमा सकता है।

अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि डेढ़ एकड़ जमीन पर ग्राफ्टेड टमाटर और बैंगन लगाने में लगभग दो से तीन लाख रुपए खर्च हुए।

जिला कृषि अधिकारी शिवशंकर प्रसाद ने कहा कि यह तकनीक छत्तीसगढ़ में बहुत लोकप्रिय है और टमाटर, बैंगन, मिर्च और शिमला मिर्च की खेती से अच्छा मुनाफा हो रहा है।

उन्होंने कहा, "ग्राफ्टेड बैंगन और टमाटर जंगली बैंगन पर ग्राफ्ट किए जाते हैं। जड़ जंगली बैंगन की होती है, इसलिए ग्राफ्टेड पौधों को जड़ संबंधी रोग नहीं लगते हैं और पौधे की वृद्धि भी सामान्य पौधे की तुलना में कहीं अधिक मजबूत होती है। साथ ही, उत्पादन भी दोगुना होता है और ग्राफ्टेड पौधा किसी भी मौसम का सामना कर सकता है।"

Point of View

बल्कि वह पूरे समुदाय को प्रोत्साहित करने का काम भी करता है। उनकी ग्राफ्ट खेती की सफलता से यह साबित होता है कि तकनीकी नवाचार किसानों के लिए नई संभावनाएं खोल सकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

ग्राफ्ट खेती क्या है?
ग्राफ्ट खेती एक तकनीक है जिसमें एक पौधे की टहनी को दूसरे पौधे की जड़ पर लगाया जाता है, जिससे बेहतर उत्पादन मिलता है।
ग्राफ्टेड पौधों के फायदे क्या हैं?
ग्राफ्टेड पौधे सामान्य पौधों की तुलना में दोगुना उत्पादन देते हैं और रोगों के प्रति अधिक सहनशील होते हैं।
क्या ग्राफ्ट खेती में मौसम का कोई असर होता है?
नहीं, ग्राफ्टेड पौधों को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।
हृदयनाथ चौबे ने ग्राफ्टेड पौधे कहां से मंगवाए?
उन्होंने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से 10 रुपए प्रति पौधे की दर पर ग्राफ्टेड पौधे मंगवाए।
क्या इस खेती से किसानों की आय बढ़ी है?
जी हां, आधुनिक तकनीकों से सब्जी की खेती करके किसान प्रति एकड़ 2-3 लाख रुपए तक कमा सकते हैं।