क्या गयाजी में पितृपक्ष के पहले दिन श्रद्धालुओं ने देवघाट पर किया पिंडदान?

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क्या गयाजी में पितृपक्ष के पहले दिन श्रद्धालुओं ने देवघाट पर किया पिंडदान?

सारांश

पितृपक्ष का आरंभ गयाजी में श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण समय है। पहले दिन देवघाट पर पिंडदान करने से श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना की। जानें इस आस्था के सैलाब के पीछे का महत्व।

Key Takeaways

  • पितृपक्ष का पहला दिन विशेष महत्व रखता है।
  • गयाजी में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
  • श्रद्धालुओं की भीड़ हर वर्ष बढ़ती जा रही है।
  • जिला प्रशासन ने सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
  • पिंडदान करने से मन को शांति मिलती है।

गया, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पितृपक्ष का आरंभ रविवार, 7 सितंबर से हो गया है। जैसे ही पितृपक्ष मेला की शुरुआत हुई, आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पहले दिन से ही गयाजी के विष्णुपद स्थित देवघाट पर तीर्थयात्रियों की भीड़ लगने लगी और श्रद्धालुओं ने पिंडदान करने का कार्य शुरू किया।

दूर-दूर से जैसे ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आए। सभी की एक ही इच्छा थी, अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाना। धार्मिक ग्रंथों में गयाजी के महत्व का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

ऐसी मान्यता है कि गयाजी में किया गया पिंडदान तीनों लोकों में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति और साधक को मोक्ष प्राप्त होता है। रविवार को देवघाट पर श्रद्धालुओं ने खीर से विशेष पिंडदान किया। मान्यता है कि पितृपक्ष के पहले दिन खीर से किया गया पिंडदान पितरों को तृप्त करता है। कई श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों और अकाल मृत्यु को प्राप्त परिजनों के चित्रों के सामने भी विधि-विधान से पिंडदान किया।

तीर्थयात्रियों ने कहा कि गयाजी में पिंडदान करने से मन को शांति मिलती है और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव जागता है। कई श्रद्धालुओं ने पहली बार गयाजी आकर इस अद्भुत परंपरा का अनुभव किया।

जिला प्रशासन ने देवघाट पर श्रद्धालुओं के बैठने के लिए टेंट लगाए हैं। पीने का स्वच्छ पानी, शौचालय, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं की उचित व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एनडीआरएफ की टीम और पुलिस बल तैनात हैं।

पुजारी संदीप शास्त्री ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि आज हमने फल्गु नदी के किनारे पहले दिन का पिंडदान किया। पितृपक्ष के दौरान यहां आकर पिंडदान करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है।

पिंडदान करने आई रीता गोयल ने बताया कि मैं ओडिशा के राउरकेला से आई हूं और पितरों की मोक्ष के लिए पिंडदान करने के लिए आई हूं। गयाजी में हमारे सात पीढ़ियों के लोग पिंडदान करने के लिए आ चुके हैं।

हरियाणा के फरीदाबाद से आए श्रद्धालु प्रवीण शर्मा ने बताया कि हम अपने परिवार और मित्रों के साथ यहां पिंडदान के लिए आए हैं। साथ में परिवार का बच्चा भी आया है, जो यहां पिंडदान के महत्व और अपनी संस्कृति को समझेगा। हमारी मृत्यु के बाद वह यहां मोक्ष के लिए पिंडदान करने के लिए आएगा।

Point of View

बल्कि परिवार के लिए भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। हमें इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने की आवश्यकता है।
NationPress
07/09/2025

Frequently Asked Questions

पितृपक्ष क्या है?
पितृपक्ष एक ऐसा पर्व है जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए पिंडदान करते हैं।
गयाजी में पिंडदान का महत्व क्या है?
गयाजी में किया गया पिंडदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे तीनों लोकों में दुर्लभ माना जाता है।
क्या पितृपक्ष के दौरान विशेष पिंडदान करना चाहिए?
हां, पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
गयाजी में पिंडदान कैसे किया जाता है?
श्रद्धालु यहाँ विधिपूर्वक अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं, जिसमें खीर और अन्य सामग्री का इस्तेमाल होता है।
क्या पितृपक्ष में देवघाट पर जाना आवश्यक है?
जी हां, देवघाट पितृपक्ष के दौरान पिंडदान के लिए सबसे प्रमुख स्थान है।