क्या विजयादशमी पर गाजियाबाद में रावण दहन ने 'जय श्री राम' के जयकारों से ग्राउंड को गूंजाया?

सारांश
Key Takeaways
- विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- गाजियाबाद में आयोजित रावण दहन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
- इस आयोजन ने सामुदायिक एकता और नैतिकता का संदेश दिया।
- भगवान राम और लक्ष्मण का मंचन कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था।
- स्थानीय निवासियों ने इस कार्यक्रम को संस्कृति का प्रतीक बताया।
गाजियाबाद, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विभिन्न हिस्सों में विजयादशमी का पर्व उत्साह और खुशी के साथ मनाया गया। यह पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध और धर्म की स्थापना की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर, अलग-अलग स्थानों पर रावण के पुतले जलाकर बुराई के अंत का संदेश दिया गया।
गाजियाबाद के कविनगर में रामलीला कमेटी ने विजयादशमी के अवसर पर एक भव्य रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कविनगर के रामलीला मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में भगवान राम और लक्ष्मण की वेशभूषा में कलाकारों ने रावण के वध का मंचन किया।
रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटी रहे। जैसे ही पुतले जलाए गए, पूरा क्षेत्र जय श्री राम के जयकारों और ताली की ध्वनि से गूंज उठा। इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की भीड़ उमड़ी।
कार्यक्रम में भगवान राम और लक्ष्मण की आरती की गई। वहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर सत्य, धर्म और सदाचार के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
रामलीला कमेटी के आयोजकों ने कहा, "यह आयोजन एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जो हमें यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। यह आयोजन हर साल होता है और इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।"
आयोजकों ने बताया कि यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में एकता और नैतिकता का संदेश भी देता है।
स्थानीय निवासी नेहा वर्मा ने कहा, "विजयादशमी हमें प्रेरणा देती है कि जीवन में हमेशा सच्चाई और न्याय का साथ देना चाहिए। यह आयोजन सामुदायिक एकजुटता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनकर उभरा है।