क्या गाजियाबाद के लोनी में ईडी की कार्रवाई में अंसारी अलीमुद्दीन और नफीस के ठिकानों पर छापेमारी हुई?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी की छापेमारी गाजियाबाद में हुई।
- अंसारी अलीमुद्दीन और नफीस के ठिकानों पर कार्रवाई।
- छापेमारी सुबह साढ़े चार बजे शुरू हुई।
- भ्रष्टाचार और धन शोधन के आरोप।
- सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया।
गाजियाबाद, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी में बुधवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए इकराम नगर स्थित अंसारी अलीमुद्दीन और नफीस के ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी की टीम सुबह लगभग साढ़े चार बजे पहुंची और दोनों स्थानों पर तलाशी जारी है।
अंसारी अलीमुद्दीन भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे का एक प्रमुख नेता हैं। जहां पर ईडी की छापेमारी चल रही है, उस घर में तीन भाई निवास करते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि टीम में कितने लोग शामिल हैं और किस मामले को लेकर यह छापेमारी की जा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अलीमुद्दीन अंसारी के एक रिश्तेदार, नवाब, जो दुबई में रहते हैं, उनसे निकटता है। अलीमुद्दीन ने नवाब के माध्यम से कई लोगों के पैसे दुबई में निवेश करवाए हैं, जिसे लेकर यह रेड चल रही है।
अंसारी अलीमुद्दीन और नफीस के घरों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। किसी को भी पास जाने की अनुमति नहीं है। अभी तक कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ बताने को तैयार नहीं है।
इसी क्रम में, इससे पहले ईडी ने मंगलवार को दिल्ली में यशदीप शर्मा और अन्य के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी के मामले में चार प्रमुख शहरों, जैसे कि दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर और मुंबई में एक-एक परिसर पर तलाशी अभियान चलाया था।
यह कार्रवाई डीएलजेडओ-I जोनल कार्यालय के द्वारा की गई थी। ईडी ने पंजाब एंड सिंध बैंक की शिकायत पर दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर एक ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज किया था। जांच में पाया गया कि यशदीप शर्मा और उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी स्वामित्व वाली संस्थाओं के माध्यम से बैंक से लिए गए लगभग 70 करोड़ रुपये के ऋण की हेराफेरी की थी।
ईडी के अनुसार, तलाशी वाले परिसर यशदीप शर्मा से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के थे। ऋण की बड़ी रकम को उनकी विभिन्न कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो किसी व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं थीं। इससे बैंक को भारी नुकसान हुआ था। यह धोखाधड़ी का मामला मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था।