क्या झारखंड को 'बांग्लादेशी जमाई टोले' से मुक्ति दिलाने के लिए आजादी की तीसरी लड़ाई आवश्यक है?

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ गंभीर चिंता का विषय है।
- गिरिराज सिंह ने आजादी की तीसरी लड़ाई की आवश्यकता का उल्लेख किया।
- आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या हुई थी।
- राजनीति में वंशवाद और लोकतंत्र के बीच का टकराव स्पष्ट है।
- राहुल गांधी और खड़गे को माफी मांगनी चाहिए।
रांची, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता गिरिराज सिंह ने 50 वर्ष पूर्व देश में लागू हुए आपातकाल के संदर्भ में कांग्रेस पार्टी और झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के मुद्दे पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर तीखे शब्दों में हमला किया है।
झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में गुरुवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के 'जमाई टोले' स्थापित कर दिए हैं, जिससे राज्य के आदिवासियों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी के शासन में लागू आपातकाल के विरुद्ध देश ने आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ी थी, और अब झारखंड को 'जमाई टोला' से मुक्त करने के लिए आजादी की तीसरी लड़ाई की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य के युवाओं से इस लड़ाई में सक्रियता से शामिल होने की अपील की।
गिरिराज सिंह ने कहा कि वर्तमान में देश में 50 वर्ष से कम आयु के लोगों की जनसंख्या लगभग 105 करोड़ है, जिन्हें यह समझाना आवश्यक है कि इस देश में इंदिरा गांधी नाम की प्रधानमंत्री हुई थीं, जिन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ निर्णय आने के बाद असंवैधानिक तरीके से आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या की थी। उस समय दो लाख से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बिना किसी अपराध के जेल में डाल दिया गया था। तानाशाही सरकार ने 25 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की सेवाएँ समाप्त कर दी थीं। लोगों को जबरन पकड़कर नसबंदी कराई गई थी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंदिरा गांधी वंशवाद की सहायता से राजनीति और सरकार में आई थीं। वंशवाद और लोकतंत्र कभी एक-दूसरे के सहायक नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा कि आज भले ही मस्जिदों से कांग्रेस के पक्ष में फतवे जारी होते हों, लेकिन आपातकाल के दौरान इंदिरा जी ने मस्जिदों और मंदिरों पर हमले करवाए थे। उस समय मस्जिदों से 77 हजार लोग विस्थापित हुए थे। आज राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस सरकार के उस कुकृत्य के लिए देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए।