क्या नई दिल्ली में ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण पहल है?
सारांश
Key Takeaways
- ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण पहल है।
- बौद्ध मूल्यों की वैश्विक प्रासंगिकता पर बल दिया गया।
- सांस्कृतिक कूटनीति का प्रभावी माध्यम है।
- भारत के लिए यह एक सभ्यतागत जिम्मेदारी है।
- फोरम का उद्देश्य विश्वभर के बौद्ध समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली, १६ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली के साउथ एवेन्यू में मंगलवार को ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम का औपचारिक शुभारंभ हुआ। यह मंच बौद्ध संवाद, सहयोग और करुणामय कार्य के लिए एक समावेशी, गैर-सांप्रदायिक वैश्विक मंच के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
कार्यक्रम का आरंभ वंदना और मंत्रोच्चार से हुआ। मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने संबोधन में भारत की उस सभ्यतागत जिम्मेदारी को उजागर किया, जो बुद्ध की भूमि होने के नाते देश पर निहित है, और बौद्ध मूल्यों की वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में बढ़ती प्रासंगिकता पर जोर दिया।
भाजपा के महामंत्री तरुण चुग ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारत की सभ्यतागत चेतना की नैतिक आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि अहिंसा, करुणा, संवाद और नैतिक आचरण जैसे मूल्य सामाजिक सौहार्द और वैश्विक शांति के लिए अनिवार्य हैं। चुग ने कहा कि ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम सांस्कृतिक कूटनीति का प्रभावी माध्यम है और यह भारत को विश्व में शांति और सद्भाव के अग्रदूत के रूप में स्थापित करेगा।
ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम के संयोजक सुब्रतो बरुआ ने फोरम की परिकल्पना, उसकी आवश्यकता और उद्देश्यों को प्रस्तुत किया, जबकि फुंचोक स्तांज़िन ने फोरम से जुड़े सदस्यों की भावी प्रतिबद्धताओं पर अपने विचार रखे। इसके पश्चात पाली शास्त्रीय पाठ सहित धर्मदेशना प्रस्तुत की गई और विश्व-कल्याण हेतु प्रार्थनाएं की गईं।
इससे पूर्व डॉ. अनिर्बान गांगुली, अध्यक्ष, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली ने अपने विचारोत्तेजक वक्तव्य में भारत की बौद्धिक परंपरा के निर्माण में बौद्ध दर्शन के दार्शनिक एवं सभ्यतागत महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं करुणा, तर्कशीलता और सार्वभौमिक कल्याण पर आधारित एक गहन नैतिक ढांचा प्रस्तुत करती हैं, जो आज के समय में हिंसा, सामाजिक विघटन और पर्यावरणीय संकट जैसी चुनौतियों का समाधान करने में अत्यंत प्रासंगिक हैं। उन्होंने ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम को भारत की सभ्यतागत जिम्मेदारियों से समाज को पुनः जोड़ने वाली एक समयोचित पहल बताया।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आए सम्मानित राष्ट्रीय नेता, पूज्य संघ सदस्य, भिक्षुजन, विद्वान और प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में भीखू डॉ काच्यान श्रमण, भीखू डॉ मेतानंद, भीखू डॉ पन्यदीप, भीखू बुद्ध कीर्ति, भीखू करुणा बोधि, पूज्य थुपस्तान पाल्दन, पूज्य लामा ज़ोत्पा, भीखू डॉ संघप्रिय राहुल तथा भीखू प्रज्ञा ज्योति की गरिमामयी उपस्थिति रही। फोरम का उद्देश्य विश्वभर के बौद्ध समुदायों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करना, बौद्ध शिक्षा एवं पाली अध्ययन को प्रोत्साहित करना, युवाओं को बौद्ध नैतिक मूल्यों से जोड़ना तथा समकालीन वैश्विक चुनौतियों का समाधान भगवान बुद्ध के शाश्वत उपदेशों के माध्यम से करना है।
कार्यक्रम का समापन एडवोकेट संदीप सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं सम्मान समारोह के साथ हुआ। ग्लोबल बुद्धिस्ट फोरम का शुभारंभ करुणा, प्रज्ञा और अहिंसा के बुद्ध संदेश को वैश्विक स्तर पर व्यवहार में उतारने की सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह भारत की भूमिका को बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक भूमि और प्राचीन ज्ञान एवं आधुनिक मानव आवश्यकताओं के बीच सेतु के रूप में पुनः स्थापित करता है।