क्या गोंडा में सपा जिलाध्यक्ष समेत 12 दोषियों को मिली जेल की सजा?

सारांश
Key Takeaways
- गोंडा में जमीन विवाद ने एक कानूनी लड़ाई को जन्म दिया।
- समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष को जेल की सजा सुनाई गई।
- दूसरे पक्ष के दोषियों को 7-7 वर्ष की सजा मिली।
- यह मामला 2014 में शुरू हुआ था।
- जमानत मिलने के बावजूद, कानून को लागू किया गया।
गोंडा, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के गोंडा में जमीन को लेकर दो पक्षों में विवाद उत्पन्न हुआ, जिसमें न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सहित दोनों पक्षों के 12 व्यक्तियों को सजा सुनाई और उन पर जुर्माना भी लगाया। यह कार्रवाई मारपीट और जमीन पर कब्जा करने के मामले में की गई है।
यह मामला देहात कोतवाली क्षेत्र के चिश्तीपुर गांव से जुड़ा है। जिला न्यायालय ने शुक्रवार को दोनों पक्षों के 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया। पहले पक्ष में सपा के जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन, उनके भाई अफसार हुसैन, भतीजे और सपा युवजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरफराज हुसैन उर्फ सोनू, मासूम अली और गुलाम हैदर को दो-दो वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही प्रत्येक पर 11-11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। हालांकि, इन दोषियों को अगली अदालत में अपील करने हेतु जमानत मिल गई है।
वहीं, न्यायालय ने दूसरे पक्ष में शाकिर अली, आरिफ, फिरोज खां, मोबिन, तस्लीम, कय्यूम और मारूफ को 7-7 वर्ष की कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी के खिलाफ 54-54 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इन सभी को जेल भेज दिया गया है।
गोंडा के सहायक शासकीय अधिवक्ता अमित पाठक ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि यह मामला वर्ष 2014 का है। कब्रिस्तान की जमीन और पट्टे की भूमि के संबंध में दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था। न्यायालय ने दोनों पक्षों के 12 व्यक्तियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया। एक पक्ष के दोषियों को जमानत मिल गई, जबकि दूसरे पक्ष के दोषियों को जेल भेजा गया है।