क्या ग्रामीण आजीविका मिशन से रीता और 10 अन्य महिलाओं को रोजगार मिला?
सारांश
Key Takeaways
- ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है।
- रीता देवी ने मत्स्य पालन से व्यवसाय शुरू किया।
- 10 अन्य महिलाओं को रोजगार देने में मदद की।
- फतेहपुर में 18344 महिला समूह बने हैं।
- आत्मनिर्भरता का यह अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रयागराज, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार स्वावलंबी बनने के लिए आधी आबादी पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़ने वाली महिलाओं की ज़िंदगी में बदलाव आ रहा है। इस मिशन के तहत मिलने वाली ऋण सुविधाओं का लाभ उठाकर घरेलू महिलाएं खुद उद्यमी बन रही हैं और गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
यूपी में महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की नई कहानी लिख रही हैं। प्रयागराज मंडल के फतेहपुर जिले की रीता देवी भी इनमें से एक हैं। मलवा विकास खंड के डगरइया गांव की निवासी रीता बताती हैं कि उनके पति एक सीमांत किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
एक दिन स्थानीय महिलाओं से ग्रामीण आजीविका मिशन के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद 2017 में 10 महिलाओं के साथ मिलकर जय संतोषी मां महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इस समूह के माध्यम से उन्होंने 1 लाख 40 हजार रुपये का ऋण सीसीएल फंड से लिया और गांव में मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया। आज उनके पास मत्स्य पालन के 3 टैंक हैं, जिससे वह हर महीने 15 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं।
रीता का कहना है कि इसी पैसे से उसने और भी काम शुरू किया है। पहले उसने एक ब्यूटी पार्लर खोला, जिससे उसकी आमदनी और बढ़ी। अब उसने अपना पक्का घर बनवाया और अपने दो बच्चों को पढ़ाई के लिए मुंबई भेज दिया है।
ग्रामीण आजीविका मिशन ने ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में एक बड़ा परिवर्तन लाया है। फतेहपुर के उपायुक्त एनआरएलएम (स्वत: रोजगार) मुकेश कुमार का कहना है कि जिले में एनआरएलएम के अंतर्गत अब तक 18344 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है।
इन समूहों के माध्यम से 1,95,000 परिवारों को लाभान्वित किया गया है। जागरूक महिलाओं ने अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है, जिससे आत्मनिर्भरता का यह अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
जागरूक महिलाओं में रीता देवी भी शामिल हैं, जिन्होंने मत्स्य पालन के तीन टैंक से स्वरोजगार का काम शुरू किया और अब 12 महिलाओं के साथ मिलकर मशरूम उत्पादन का कार्य प्रारंभ कर रही हैं।