क्या ग्रेटर नोएडा में जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाकर 8 शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- गौतमबुद्धनगर पुलिस ने एक ऑनलाइन ठगी के गिरोह का भंडाफोड़ किया।
- आरोपियों ने जल्दी अमीर बनने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ठगे।
- पुलिस ने महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान और नकली दस्तावेज बरामद किए।
- गिरोह के खिलाफ कई राज्य में मामले दर्ज हैं।
- युवाओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
ग्रेटर नोएडा, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गौतमबुद्धनगर पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए एक संगठित ऑनलाइन ठगी के नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। ईकोटेक प्रथम पुलिस ने स्थानीय खुफिया की मदद से ऐसे 8 आरोपियों को पकड़ा है जो लोगों को जल्दी अमीर बनने का सपना दिखाकर उनसे लाखों रुपये की ठगी करते थे।
पुलिस ने इन ठगों के पास से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, नकली कागजात और एक करोड़ रुपये का चेक बरामद किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों में विधान डागर, सतीश शाव, कल्पेश राजू भाई, गुरविंदर सिंह, गुरदीप सिंह, कौशिक डागर, गणेश बेरा और तापस धारा शामिल हैं। ये सभी आरोपी ग्रेटर नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों में किराए पर रहकर ठगी का जाल फैला रहे थे।
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह क्यूनेट और विहान नामक कंपनियों के नाम पर लोगों को धोखा देता था। आरोपी सोशल मीडिया और वीडियो कॉलिंग प्लेटफॉर्म जैसे गूगल मीट के माध्यम से लोगों के साथ संपर्क साधते थे। उन्हें सोना, हीरा, घड़ी जैसे महंगे उत्पाद खरीदने और बेचने के लिए मोटा मुनाफा देने का झांसा दिया जाता था। इस नेटवर्क से जुड़ने के लिए 1.5 लाख रुपये की शर्त रखी जाती थी, और भुगतान डॉलर या बिटकॉइन में करने को कहा जाता था। एक बार कोई व्यक्ति इस नेटवर्क में शामिल हो जाता, तो उसे और निवेश करने के लिए मजबूर किया जाता और लोन दिलाने का झांसा दिया जाता। धीरे-धीरे वह व्यक्ति इस जाल में फंसकर भारी नुकसान उठाता। यह गिरोह खासकर आर्थिक रूप से महत्वाकांक्षी युवाओं को निशाना बनाता था।
पुलिस ने आरोपियों के पास से 10 लैपटॉप, 13 मोबाइल फोन, 5 टैबलेट, 30 एटीएम कार्ड, एक करोड़ रुपये4 महंगी घड़ियां और एक स्विफ्ट कार जब्त की है। इस मामले में थाना ईकोटेक प्रथम में मामला दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त, क्यूनेट और विहान के खिलाफ दिल्ली ईओडब्ल्यू सहित राजस्थान और मेघालय में भी मामले दर्ज हैं। पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क की गहन जांच कर रही है ताकि इनके अन्य सहयोगियों और इस फर्जी नेटवर्क से जुड़ी लोगों की पहचान की जा सके।