क्या जीएसटी सुधार 2030 तक देश को 350 अरब डॉलर की कपड़ा अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे?

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क्या जीएसटी सुधार 2030 तक देश को 350 अरब डॉलर की कपड़ा अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे?

सारांश

केंद्र सरकार के नए जीएसटी सुधार कपड़ा क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम हैं। ये सुधार न केवल लागत को कम करेंगे, बल्कि 2030 तक भारत को 350 अरब डॉलर की कपड़ा अर्थव्यवस्था बनाने में भी सहायक होंगे। जानिए इन सुधारों के प्रभाव को।

Key Takeaways

  • कपड़ा मंत्रालय का उद्योग के साथ सहयोग
  • 5 प्रतिशत जीएसटी दर का लाभ
  • कपड़ा उद्योग में रोजगार का सृजन
  • भारत को एक ग्लोबल टेक्सटाइल पावरहाउस बनाना
  • कपड़ों की सामर्थ्य में सुधार

नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के अनुसार, नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी सुधार भारत के कपड़ा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक छलांग हैं, जो 2030 तक देश को 350 अरब डॉलर की कपड़ा अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में उत्प्रेरक का काम करेंगे।

कपड़ा मंत्रालय ने इन सुधारों को लागू करने के लिए उद्योग के हितधारकों, निर्यातकों, कारीगरों और उद्यमियों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

इन ऐतिहासिक सुधारों से लागत कम होने, संरचनात्मक विसंगतियों को दूर करने, रोजगार को बनाए रखने और रेशे से लेकर फैशन और विदेशी बाजारों तक, संपूर्ण कपड़ा वैल्यू चेन को मजबूत करने की उम्मीद है।

ये सुधार प्रधानमंत्री के दूरदर्शी 5एफ फॉर्मूले (फ्रॉम फाइबर टू फैशन टू फॉरेन मार्केट) के साथ पूरी तरह से जुड़े हैं, जिसका उद्देश्य भारत को एक ग्लोबल टेक्सटाइल पावरहाउस के रूप में स्थापित करना है।

कपड़ों में जीएसटी को rationlize बनाने से विकृतियां दूर होंगी, उत्पादन लागत कम होगी, मांग बढ़ेगी, निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

ये सुधार रेशे के स्तर पर विसंगतियों को दूर करते हैं, धागे और कपड़े के स्तर पर लागत कम करते हैं, परिधानों की सामर्थ्य में सुधार करते हैं, खुदरा स्तर पर मांग को पुनर्जीवित करते हैं और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हैं।

महत्वपूर्ण रूप से, ये उपाय भारत की रेशा-तटस्थ नीति को मजबूत प्रोत्साहन देते हैं, जिससे कपास और मानव निर्मित क्षेत्रों में संतुलित विकास सुनिश्चित होता है।

रेडीमेड कपड़ों और मेड-अप वस्तुओं पर 2,500 रुपए प्रति पीस (पहले 1,000 रुपए) तक की 5 प्रतिशत जीएसटी दर, किफायती परिधानों को, विशेष रूप से मध्यम वर्ग और निम्न-आय वाले परिवारों के लिए, सस्ता बनाती है।

इससे टियर 2 और 3 शहरों और ग्रामीण बाजारों में मांग में सुधार की उम्मीद है।

मंत्रालय ने कहा, "परिधान उद्योग की श्रम-प्रधान प्रकृति को देखते हुए खासकर सिलाई, टेलरिंग और फिनिशिंग इकाइयों में महिलाओं के लिए उच्च मांग से रोजगार बना रहेगा और बढ़ेगा। यह कदम 'मेक इन इंडिया' ब्रांडों को भी समर्थन देगा, जिससे उन्हें कम और मध्यम-मूल्य वाले क्षेत्रों में सस्ते आयातों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।"

रेशों पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और सूत पर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

मानव निर्मित रेशों (एमएमएफ) के उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी लघु और मध्यम इकाइयों की है, इसलिए इस कटौती से लागत का दबाव कम होगा, नकदी प्रवाह मजबूत होगा और भारतीय एमएमएफ-आधारित परिधान वैश्विक स्तर पर अधिक मूल्य-प्रतिस्पर्धी बनेंगे, जिससे सिंथेटिक वस्त्रों और एमएमएफ परिधानों के केंद्र के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा।

कालीनों और फर्श कवरिंग पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे भदोही और श्रीनगर जैसे समूहों से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, पारंपरिक शिल्प को मजबूती मिलेगी और घरेलू बाजारों में सामर्थ्य में सुधार होगा।

एचएस 5705 के अंतर्गत 36 हस्तशिल्प वस्तुओं, हथकरघा के सूती गलीचों और हाथ से बुने हुए कालीनों पर कर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कदम से कारीगरों को राहत मिलेगी, ग्रामीण आजीविका में वृद्धि होगी और भारत की समृद्ध शिल्प परंपराओं को बल मिलेगा।

जीरो-रेटेड सप्लाई और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर, दोनों के मामले में, प्रणाली-संचालित जोखिम मूल्यांकन के आधार पर, धनवापसी प्रक्रिया का सरलीकरण।

कूरियर/डाक माध्यम से छोटी खेपों के लिए 1,000 रुपए की सीमा को हटाना, साथ ही छोटे और कम जोखिम वाले व्यवसायों के लिए सरलीकृत जीएसटी पंजीकरण योजना, एक बहुत ही सकारात्मक कदम है।

Point of View

बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेंगे। एक राष्ट्रीय संपादक के रूप में, मेरा मानना है कि यह कदम देश में रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

जीएसटी सुधारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
जीएसटी सुधारों का मुख्य उद्देश्य कपड़ा उद्योग की लागत को कम करना, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना और 2030 तक 350 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है।
ये सुधार किस तरह से रोजगार को प्रभावित करेंगे?
ये सुधार सिलाई, टेलरिंग और फिनिशिंग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे।
क्या इन सुधारों से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा?
हाँ, ये सुधार निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएंगे और वैश्विक बाजार में भारतीय कपड़ों की मांग को मजबूत करेंगे।