क्या जीएसटी सुधार से अर्थव्यवस्था की रफ्तार में वृद्धि हुई है?
सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।
- ई-वे बिल जनरेशन में 14.4 प्रतिशत की वृद्धि।
- जीएसटी संग्रह में 9 प्रतिशत का इजाफा।
- मैन्युफैक्चरिंग PMI में वृद्धि।
- कृषि आय के कारण ग्रामीण खपत में सुधार।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विभिन्न हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स से यह स्पष्ट हुआ है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में सुधार ने देश की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि को प्रोत्साहित किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी मासिक इकोनॉमिक रिव्यू में यह जानकारी साझा की गई।
रिव्यू में बताया गया कि 2025 के सितंबर और अक्टूबर के महीने में ई-वे बिल जनरेशन में सालाना आधार पर 14.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, वित्त वर्ष 26 के अप्रैल से अक्टूबर के बीच जीएसटी संग्रह में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो दर्शाता है कि देश में खपत और अनुपालन तेजी से बढ़ रहे हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि देश की मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था में भी तेजी आई है। अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 59.2 पर पहुँच गया, जो कि सितंबर में 57.5 था। इसके पीछे जीएसटी सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और टेक्नोलॉजी में निवेश का योगदान है।
इसके अतिरिक्त, सर्विस सेक्टर में भी पीएमआई अक्टूबर में 58.9 पर बना रहा, जो गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है। जब भी पीएमआई 50 से ऊपर होता है, तो यह दर्शाता है कि गतिविधियों में सुधार हो रहा है।
अक्टूबर में पेट्रोल खपत भी बढ़कर पांच महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है, जिसमें सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ। हालांकि, डीजल की सालाना वृद्धि लगभग स्थिर रही, लेकिन खपत चार महीनों के उच्चतम स्तर पर थी।
पोर्ट कार्गो गतिविधियों में भी तेजी देखी गई है और अक्टूबर में यह दोहरे अंकों में बढ़ी, जो व्यापारिक गतिविधियों में तेजी का संकेत है।
रिव्यू में यह भी बताया गया कि कृषि आय में मजबूती के कारण ग्रामीण खपत में सुधार हुआ है। साथ ही, शहरी खपत भी मजबूत बनी हुई है। जीएसटी सुधार का प्रभाव अगले दो तिमाही में भी देखा जाएगा।